
उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर जिले के सायरा थाना क्षेत्र में स्थित कुंभलगढ़ वन अभ्यारण्य इन दिनों एक खौफनाक वारदात को लेकर चर्चा में है। कड़ेच ग्राम पंचायत के रींछवाड़ा गांव के घने जंगलों में अचानक सात बंदरों की खून से सनी लाशें मिलने से सनसनी फैल गई। जब वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची, तो सामने आई एक ऐसी सच्चाई, जिसने सभी को चौंका दिया।
जांच में खुलासा हुआ कि यह कोई सामान्य मामला नहीं, बल्कि एक सोची-समझी योजना थी। कथित तौर पर आदिवासी कथोडी समाज के 12 लोगों की एक गैंग ने इन बंदरों को लोहे के तारों से फंसाया, फिर धारदार हथियारों से टुकड़े-टुकड़े कर मांस पोटलियों में भर लिया। इतना ही नहीं, जब वन विभाग की टीम ने उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो आरोपियों ने उन्हें घेरने की भी कोशिश की जिससे हालात तनावपूर्ण हो गए।
बोखाड़ा रेंज से अतिरिक्त टीम मौके पर पहुंची और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। उनके पास से बंदरों का मांस, हथियार और चार मोटरसाइकिल भी जब्त की गईं। सभी आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि जंगल की जैव विविधता और संवेदनशील वन्यजीव कानूनों के लिए गंभीर खतरे की घंटी है। राज्य सरकार द्वारा आदिवासी समुदाय को योजनाओं से जोड़ने के प्रयासों के बावजूद ऐसी घटनाएं यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि कहीं कोई कड़ी चूक तो नहीं हो रही?
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