
जोधपुर। देशभर में विजयादशमी के दिन रावण दहन किया गया। लाखों की संख्या में रावण के पुतले जलाए गए। करोड़ों रुपये के पटाखे और आतिशबाजी की गई। रावण के दहन के बाद लोगों ने विजयदशमी के पर्व की बधाइयां दी और जश्न मनाया। लेकिन जोधपुर का एक समाज ऐसा भी है जहां रावण का पुतला जलाने के दौरान लोग शोक में डूब गए। रातभर घर में सन्नाटा पसरा रहा। यही नहीं आने वाले दस दिन वे शोक रखेंगे और घरों से बाहर भी नहीं निकलेंगे। जी हां, राजस्थान में ऐसे एक परिवार है जो रावण वध का जश्न नहीं शोक मनाता है।
रावण वध के बाद जनेऊ और कपड़े बदलते हैं ये वंशज
ये जोधपुर जिले का श्रीमाली दवे ब्राहम्ण समाज है। दरअसल रावण भी इसी कुल और वंश का था। जिस देवी की पूजा रावण करता था वे मां खरानना हैं। उनकी पूजा ही रावण के ये वंशज परिवार करते हैं। देवी का मंदिर भी मेहरानगढ़ फोर्ट की तलहटी पर बसा हुआ है। यहां रावण का मंदिर भी है जहां पर ये परिवार नियमित पूजन करता है। रावण की मूर्ति है जहां पर रावण दहन के बाद जनेऊ और कपड़े बदले जाते हैं।
जोधपुर में रहते हैं रावण के वंशज
राजस्थान के जोधपुर जिले में अलग-अलग जगहों पर करीब 150 परिवार निवास करते हैं। इनके ही कुछ रिश्तेदार गुजरात में हैं जहां करीब डेढ़ हजार परिवार निवास करते हैं। ये सभी रावण के वंशज कहलाते हैं। रावण के मंदिर की पूजा पाठ करने वाले कमलेश कुमार का कहना है कि रावण में चरित्रहीनता ही एक अवगुण था, जिसके कारण ये दुर्गति हुई।
पढ़ें रामानंद सागर को कितने का पड़ा था 'रावण', कितनी थी बाकी स्टार्स की फीस?
10 दिन शोक रखता हैं रावण के वंशज
रावण संगीत का बड़ा ज्ञाता, वेद विद्वान, महाबलशाली था। उसकी ये विशेषताएं बड़े-बड़े राजाओं में नहीं थी। लेकिन अब चरित्रहीनता के कारण हर साल उसका दहन किया जाता है। समाज के लोगों का कहना है कि हांलाकि वे हमारे लिए पूज्य हैं और यही कारण है कि उनके दहन के बाद 10 दिन शोक रखा जाता है। परिवार के लोग घर से बाहर नहीं निकलते हैं। ये परपंरा पुरखों के जमाने से चली आ रही है।
राजस्थान की राजनीति, बजट निर्णयों, पर्यटन, शिक्षा-रोजगार और मौसम से जुड़ी सबसे जरूरी खबरें पढ़ें। जयपुर से लेकर जोधपुर और उदयपुर तक की ज़मीनी रिपोर्ट्स और ताज़ा अपडेट्स पाने के लिए Rajasthan News in Hindi सेक्शन फॉलो करें — तेज़ और विश्वसनीय राज्य समाचार सिर्फ Asianet News Hindi पर।