दो भाइयों की अमर प्रेम गाथा: एक साथ जन्मे-एक ही साथ मौत...जीवन भर साये की तरह साथ रहे, रूला देगी कहानी

राजस्थान के जयपुर से 2 भाइयों के प्रेम की ऐसी कहानी सामने आई है जो हर किसी की आंखें नम कर रही है। दोनों में इतना प्रेम था कि एक की मौत हुई तो दूसरे ने पता चलते ही अपने प्राण त्याग दिए। दोनों एक साथ जन्मे थे और उनके प्रेम की लोग मिसाल देते थे।

Arvind Raghuwanshi | Published : Feb 2, 2023 7:31 AM IST

जयपुर. जमीन , जायदाद के लिए भाईयों के लड़ने झगड़ने और एक दूसरे का खून तक कर देने के दर्जनों केस आपने पढ़े और देखे होंगे। लेकिन जयपुर के दो बुजुर्ग भाईयों की यह कहानी आपका दिल भर देगी। भाईयों के बीच इतनी उम्र के बाद भी इतना प्रेम था कि चंद घंटों में ही एक के बाद एक दोनो की जान चली गई। दोनो भाईयों की मौत के बाद अब परिवार में गम का माहौल है। गांव वाले उनके बीच आपसी प्रेम के चर्च कर रहे हैं। दरअसल यह घटनाक्रम जयपुर जिले के ग्रामीण इलाके में स्थित मौजमाबाद क्षेत्र के सावरदा गांव का है।

साल 1933 में एक साथ जन्मे थे, एक का नाम सूरज तो दूसरे का था चांद

सावरदा गांव में साल 1933 को जन्मे थे दो भाई। पिता रामदेव साहू ने बड़े बेटे को सूरज और छोटे को चांद नाम दिया। दोनो जुड़वा भाईयों की परवरिश शुरू से ही साथ हुई। साथ जगना, सोना, खाना खाना, एक ही कक्षा में पढ़ना सब कुछ शुरू से एक समान रहा। दोनो के बीच इतना प्रेम था कि अगर एक बीमार हो जाए तो दूसरे को भी अस्पताल ले जाना पडता था। व्यस्क हुए तो दोनो की शादी जयपुर के ही हरमाड़ा इलाके में रहने वाली दो सगी बहनों के साथ हुई। शादी के बाद भी दोनो भाई साथ रहे। परिवार और वंश बढ़ता चला गया और धीरे धीरे दोनो बुजुर्ग हो गए। लेकिन उसके बाद भी साथ ही रहे ।

बड़े भाई की मौत की खबर लगते ही छोटे भाई ने भी त्याग दिए प्राण

यह साथ रविवार को टूट गया। दरअसल रविवार को दोपहर में अचानक बड़े भाई सूरज की तबियत खराब हो गई। करीब नब्बे साल के सूरज को अस्पताल ले जाया गया तो डॉक्टर्स ने उनको मृत घोषित कर दिया। इस बारे में किसी ने भी छोटे भाई चांद को नहीं बताया कि सूरज की मौत हो गई। रविवार शाम उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। सवेरे छोटे भाई ने बड़े भाई को तलाशा वे नहीं मिले। परिवार से पता चला कि उनकी जान चली गई है। कुछ ही घंटों बाद छोटा भाई चांद भी अपने कमरे में मृत मिले। सोमवार शाम परिवार ने छोटे भाई चांद को भी बड़े भाई की चिता के नजदीक ही अंतिम संस्कार कर दिया। गांव में अब दोनो भाईयों के प्रेम के चर्च हो रहे हैं।

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