दूध बेचा-जमीन बेच दी...रूला देगा पिता का त्याग, Father's Day से पहले डॉक्टर बनीं बेटियां

Published : Jun 07, 2025, 05:07 PM IST
Success Story Special om Fathers Day 2025

सार

Fathers Day 2025 Special : राजस्थान के एक किसान ने अपनी बेटियों को डॉक्टर बनाने के लिए जमीन तक बेच दी। दूध बेचकर पढ़ाई का खर्च उठाया। आज बेटियां डॉक्टर बनकर पिता का सपना पूरा किया।

Fathers Day 2025 Special : बेटों को तो सभी काबिल बनाते हैं, राजस्थान के एक छोटे से गांव में रहने वाले किसान ने अपनी बेटियों को काबिल बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। बेटियों को पढ़ाने के लिए जमीन बेच दी, सेविंग लगा दी, उनकी शादी के लिए जोड़ा पैसा भी दांव पर लगा दिया... फिर दूध बेचने लगे। लेकिन फिर बेटियों ने भी पिता के संघर्ष का मान रखा और दोनों एक साथ डॉक्टर बन गई। सफेद एप्रिन पहने जब घर पहुंची तो पिता ने दोनों को गले लगाया और खुशी के आंसू संभालते रहे.....। फादर्स डे पर पिता के संघर्ष और बेटियों की मेहनत की यह कहानी मिसाल बन गई। किसान भंवरलाल रावल राजस्थान के एक छोटे से शहर राजसमंद के रहने वाले हैं।

गांव की बेटियों ने पास की नीट परीक्षा

गांव की स्कूल से पढ़ाई की बेटियों ने, सोचा नहीं था डॉक्टर बनेंगी भंवर लाल की बेटियों कविता और पद्मा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूलों से की। दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था कि वे बड़ी होकर डॉक्टर बनेंगी। लेकिन कम पढ़े लिखे पिता चाहते थे बेटियों का मान हो और उनका सब सम्मान करें। कोटा से दोनो बेटियों को नीट परीक्षा की तैयारी कराई। बेटियों ने पहले तो जाने से ही इंकार कर दिया। ऐसे में पिता ने कभी कोटा और कभी राजसमंद में दिन गुजारे। बेटियों को संबल दिया और आखिर दोनों ने नीट परीक्षा पास कर ली। दो साल में दोनो बहनों ने अपना और पिता का जीवन बदल दिया।

एक विदेश गई, दूसरी यूपी के मेडिकल कॉलेज 

 पद्मा का चयन यूपी के बरेली मेडिकल कॉलेज में हुआ, जबकि कविता ने विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू की। इसके लिए पिता ने अपनी जमीन बेचकर फीस का इंतजाम किया। खेती की जमीन बेचने के साथ ही पक्की जमीन भी बेच डाली। सेविंग , शादी का पैसा सब लगा दिया। फिर दूध बेचने लगे। आज कविता भारत लौटकर सरकारी डॉक्टर बन चुकी हैं और पद्मा भी अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही हैं।

डॉक्टर बेटियों के मात-पिता की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू

कहां रहती हैं... गर्व से फूल जाता है सीना आज जब गांव में कोई उन्हें डॉक्टर बहनें, कहकर पुकारता है। तो भंवरलाल और उनकी पत्नी की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू होते हैं। गांव ही नहीं पूरे शहर में ऐसा कोई परिवार नहीं हैं जहां पर दो बहनें डॉक्टर बनी हैं। यह कहानी हर उस पिता के लिए प्रेरणा हैए जो अपने बच्चों के सपनों को अपनी हकीकत बनाना चाहता है।

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