Arvind Singh Mewar : एकदम अलग होता है राजघराने के सदस्यों का अंतिम संस्कार, किया जाता है ये खास काम

Published : Mar 17, 2025, 10:53 AM IST
Arvind Singh Mewar last rites

सार

मेवाड़ राजघराने और महाराणा प्रताप के वंशज पूर्व महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का आज उदयपुर में शाही रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार किया जाएगा। आम लोगों से काफी अलग होती है राज परिवार के सदस्यों की अंतिम विदाई। जानिए महासतिया में क्या होता है खास!

उदयपुर. राजस्थान के मेवाड़ राजघराने में एक युग का अंत हो गया। झीलों की नगरी उदयपुर, जो अपनी ऐतिहासिक धरोहर और राजसी विरासत के लिए जानी जाती है, ने अपने एक महत्वपूर्ण संरक्षक को खो दिया। पूर्व महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ का 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे अरविंद सिंह का निधन उनके सिटी पैलेस स्थित शंभू निवास में हुआ। अब, 17 मार्च को, शाही रीति-रिवाजों के साथ उनका अंतिम संस्कार महासतिया में किया जाएगा, जहां मेवाड़ राजघराने के पूर्ववर्ती शासकों की अंत्येष्टि होती आई है।

जानिए क्या होती है महासतिया

 जहां शाही आत्माएं विश्राम पाती हैं महासतिया, उदयपुर के आयड़ क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल, मेवाड़ राजवंश के दिवंगत सदस्यों की अंतिम यात्रा का गवाह रहा है। इसे "राजाओं की मोक्ष स्थली" भी कहा जाता है, जहां शाही सम्मान और परंपराओं का निर्वहन किया जाता है। इस स्थल पर संगमरमर और लाल पत्थरों से बनी भव्य छतरियां खड़ी हैं, जो शाही शासकों के गौरवशाली अतीत को दर्शाती हैं।

11 बजे देखिए उदयपुर शाही वैभव की अंतिम झलक

आखिरी यात्रा: जब शहर थम जाएगा आज, 17 मार्च की सुबह 11 बजे, उदयपुर शाही वैभव की अंतिम झलक देखने वाला है। शंभू निवास से शुरू होने वाली यह यात्रा बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और दिल्ली गेट होते हुए महासतिया पहुंचेगी। इस दौरान पूरे मार्ग को शोक स्वरूप संवार दिया गया है, जहां हजारों लोग अंतिम दर्शन के लिए एकत्रित होंगे।

जानिए आम से कितना अलग होता है शाही संस्कार

  • परंपराओं का निर्वहन मेवाड़ की परंपरा के अनुसार, अरविंद सिंह मेवाड़ को गंगाजल से स्नान कराने के बाद भगवा वस्त्र पहनाया जाएगा। उनके साथ शस्त्र, आभूषण और राजचिन्ह भी महासतिया ले जाए जाएंगे। राजमहल के दरवाजों पर ताले लगाए जाएंगे, और सरकारी कार्यालयों में भी शोक व्यक्त किया जाएगा।
  • शाही परिवार के लिए यह केवल एक अंतिम संस्कार नहीं, बल्कि अपनी समृद्ध परंपरा को एक और बार जीने का अवसर होगा। उदयपुर आज एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बनेगा, जब एक युग समाप्त होगा और इतिहास की किताबों में एक नया अध्याय जुड़ जाएगा।

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