दुनिया का पहला ऐसा मंदिर, जहां भगवान पहनते हैं घड़ी, इसके पीछे है बड़ा रहस्य

जयपुर के गोपीनाथ जी मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के विग्रह को घड़ी पहनाई जाती है। इस घड़ी का इतिहास औरंगजेब के समय से जुड़ा है और इसके पीछे एक रोचक कहानी छिपी है। मंदिर में रोजाना नौ झांकियां होती हैं और भक्तों की गहरी आस्था का केंद्र है।

जयपुर. राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे छोटीकाशी भी कहा जाता है, में भगवान श्रीकृष्ण के एक दुर्लभ विग्रह ठाकुर गोपीनाथ जी का मंदिर स्थित है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी प्रसिद्ध है। बता दें कि इस मंदिर में विराजमान ठाकुर जी घड़ी पहनते हैं, यह दुनिया का ऐसा इकलौता मंदिर है, जहां ईश्वर को टाइम घड़ी पहनाई जाती है।

वृंदावन से जयपुर आए ठाकुर जी कहानी बेहद रोचक

मंदिर के महंत सिद्धार्थ गोस्वामी के अनुसार, गोपीनाथ जी का यह विग्रह भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र वज्रनाभ ने अपनी दादी के कहने पर बनवाया था। इसे वृंदावन से जयपुर लाने की कहानी बेहद रोचक है। बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब द्वारा मंदिरों को तोड़ने के समय, ठाकुर जी को यमुना किनारे से छुपाते हुए राधा कुंड और काम्यावन के रास्ते 1775 में जयपुर लाया गया। इसके बाद 1792 में इसे पुरानी बस्ती स्थित वर्तमान स्थान पर स्थापित किया गया।

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ठाकुर जी का चमत्कार मंदिर की एक अनूठी परंपरा

अनोखी घड़ी और ठाकुर जी का चमत्कार मंदिर की एक अनूठी परंपरा है ठाकुर जी द्वारा धारण की गई घड़ी। यह घड़ी ठाकुर जी की धड़कनों से चलती थी। अंग्रेज शासन के दौरान एक अंग्रेज अधिकारी ने इसे चुनौती मानकर परखा और पाया कि घड़ी सच में ठाकुर जी के शरीर से संचालित हो रही थी। हालांकि, इस ऐतिहासिक घड़ी को बाद में एक कारीगर ने सही करने के लिए ले लिया, लेकिन उसे लौटाया नहीं गया। आज, ठाकुर जी को घड़ी की एक प्रतिकृति पहनाई जाती है।

गहरे विश्वास और अटूट श्रद्धा को प्रकट करता है यह मंदिर

रोज की झांकियां और भक्ति की परंपरा मंदिर में प्रतिदिन 9 झांकियां होती हैं, जिनमें मंगला झांकी से लेकर शयन झांकी तक ठाकुर जी के भव्य दर्शन होते हैं। भक्तों का मानना है कि यहां आने से उनकी हर मन्नत पूरी होती है। महिलाएं भजन गाकर ठाकुर जी की सेवा करती हैं और हर साल पौष बड़े और नंद उत्सव जैसे भव्य आयोजन करती हैं। जयपुर के गोपीनाथ जी मंदिर की महिमा केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जयपुर की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। यहां का हर भक्त ठाकुर जी के प्रति अपने गहरे विश्वास और अटूट श्रद्धा को प्रकट करता है।

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