सब्जी वाले की बेटी ने क्रैक किया JEE मेन्स, पिता कोटा में कोचिंग के सामने लगाते हैं ठेला

कोटा में  रिलायबल इंस्टीट्यूट के सामने चाय और फल बेचने वाले भारत की बेटी करीना ने jee  क्लियर कर लिया है और मेंस के लिए क्वालीफाई कर लिया है । बेटी की सफलता पर हर कोई उसे बधाई दे रहा है।

कोटा. झारखंड से कुछ साल पहले कोटा आए भारत और उसके भाई आज मीडिया की सुर्खियों में छाए हुए हैं । दोनों भाई कोटा में चाय की थड़ी और फलों का ठेला लगाते हैं । बड़े भाई भारत को सिर्फ 10 फ़ीसदी सुनाई देता है और वह चौथी तक पढा हुआ है । लेकिन उनकी बेटी ने वह कर दिखाया है जिसके लिए चाचा और पिता ने सब कुछ कुर्बान कर दिया। यह कहानी फिल्मों के जैसी लगती है लेकिन कोटा में घटित हो रही है।

कोटा में कोचिंग के सामने फलों का ठेला लगाते हैं पिता

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दरअसल, कोटा जिले में रोड नंबर एक पर रिलायबल इंस्टीट्यूट के नजदीक चाय और फल बेचने वाले भारत की बेटी करीना ने jee एंट्रेंस क्लियर कर लिया है और मेंस के लिए क्वालीफाई कर लिया है । करीना के दसवीं में 77% अंक आए थे । वह झारखंड में अपने माता-पिता के साथ रह रही थी। लेकिन पिता और चाचा साल 2015 में रोजगार की तलाश में कोटा आ गए । कोटा में उन्होंने बच्चों को पूरे देश भर से डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना लेकर आते देखा , तो बेटी के भविष्य को भी बुनना शुरू कर दिया। उसके बाद करीना को कोटा लाया गया । यहां उसने 12वीं की परीक्षा के साथ jee एंट्रेंस का एग्जाम दिया और अब वह उसमें क्वालीफाई कर गई है । उसने एससी कैटेगरी में 43367 रैंक हासिल की है । उसकी ओवरऑल रैंक 586985 है ।

झारखंड में रहते हैं करीना के भाई-बहन

करीना का कहना है मां और भाई बहन झारखंड में ही रह रहे हैं । वहां कच्चा मकान है लेकिन अब सरकार की मदद से मकान का कुछ हिस्सा पक्का कर दिया गया है। हालत आर्थिक खराब है और जैसे तैसे हर रोज कटता है, लेकिन दोस्तो की मदद , कोचिंग संचालक सर की तरफ से मिली फीस में रियायत और माता-पिता की मेहनत ने उसे इस मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है । करीना ने बताया कि जब समय मिलता है वह भी पिता और चाचा के साथ फलों की टपरी पर खड़ी होकर फल बेचती है।

करीना ने सुनाई अपनी दर्दभरी कहानी

करीना का कहना था कोरोना कल में तो हालत ऐसी हो गई मानो अब जीवन में कुछ नहीं बचा। पहले ही खाने-पीने के लाले थे, लेकिन कोरोना के कारण सभी तरह के काम धंधे बंद हो गए समाज सेवाइयों के चलते खाना मिल सका, नहीं तो वह समय काटना बहुत मुश्किल था।

 

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