
अलवर (राजस्थान). यूपीएससी परीक्षा में रैंक लाने वाले भावी अफसरों की कहानियां फिल्मी कहानियों से कम नहीं हैं। बात हो रही है अलवर जिले के रहने वाले प्रघुम्न सिंह की। प्रघुम्न ने अपने आईपीएस भाई और आईएएस भाभी को देखकर जिद पाल ली की बनना तो अब अफसर ही है फिर चाहे जो भी हो जाए। कानपुर से आईआईटी करने वाले प्रघुम्न ने जीवन का मकसद ही आईएएस बनना बना लिया। तीन बार प्रयास किए और तीसरे प्रयास में वह अफसरों की श्रेणी में आया। इसके लिए एक करोड़ की जॉब छोड़ दी, घर छोड़ दिया..... और अब अफसर बनकर ही घर पहुंचा है।
मां कभी स्कूल नहीं गई और उसके दोनों बेटे UPSC पास कर बने IAS
दरअसल प्रघुम्न अलवर जिले के खेरली क्षेत्र में स्थित नंगला गांव का रहने वाला है। उसकी 318वीं रैंक आई है। उनके पिता मानसिंह यादव हैं जो एक स्कूल में वाइस प्रिसिंपल लगे हुए हैं। मां ने जीवन में कभी पढाई नहीं की लेकिन मां ने अपने दोनो बेटों को अफसर बनाने की ठान ली और अब दोनो को अफसर बनाकर ही दम लिया।
प्रघुम्न ने IPS भाई और IAS भाभी को देखकर शुरू की UPSC की तैयारी
प्रघुम्न के बड़े भाई साल 2018 में आईपीएस बन गए। लखन सिंह यादव ने भी जमकर पढाई की और मुकाम पाया। फिर उन्होंने आईएएस लक्ष्मी से शादी की जो यूपी में अफसर हैं। अब भाई और भाभी को देखकर छोटे भाई का भी मन मचल गया और आईआईटियन प्रघुम्न भी अब अफसर बन गया।
UPSC पास करने के लिए एक करोड़ की जॉब तक छोड़ दी
प्रघुम्न 11वीं कक्षा तक खेरली अपने गांव में ही पढ़े और फिर दिल्ली चले गए। वहां जाकर पढाई जारी रखी। कानपुर पहुंच गए। आईआईटी कर ली। फिर तीन साल पहले एक करोड की जॉब ठुकरा दी। तीन साल तक लगातार मेहनत की । रिजेक्ट हुए लेकिन फिर जुट गए। फिर रिजेक्ट हुए, लकिन फिर से जुट गए और अब सफलता छीन ही लाए।
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