कर्नाटक हार के बाद अब राजस्थान में BJP के लिए क्यों जरूरी हैं वसुंधरा राजे, जाने क्या हैं इसके सियासी मायने

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब बीजेपी राजस्थान मिशन-2023 की तैयारी में जुट गई है। बीजेपी यहां कोई गलती नहीं करना चाहती है। कल तक बीजेपी में हासिए पर चल रहीं वसुंधरा राजे को अब दरकिनार नहीं किया जा सकता।

जयपुर. राजस्थान में विधानसभा चुनावों में करीब 6 महीने से भी कम समय बचा है। भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान के शेखावाटी एरिया में पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के जन्म शताब्दी समारोह से एक आम सभा कर अपनी चुनावी बिगुल की शुरुआत कर दी है लेकिन भाजपा के लिए इतना ही काफी नहीं है अब जल्द ही भारतीय जनता पार्टी को चुनावी रण में अपने सीएम फेस की घोषणा करनी पड़ेगी। हालांकि पार्टी किसे भी सीएम फेस घोषित करें लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को दरकिनार नहीं किया जा सकता।

वसुंधरा राजे का यही शक्ति प्रदर्शन

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क्योंकि लंबे समय से ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पार्टी लाइन से अलग होकर अपनी अलग से बाय कर रही है। इसके अलावा वह लगातार कई धार्मिक यात्राएं भी कर रही है। हालाकी वसुंधरा राजे का कहना है कि यह सभी गैर राजनीतिक है। लेकिन यदि राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह 1 तरीके से वसुंधरा राजे का शक्ति प्रदर्शन है। जिनमें उनके साथ पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी जैसे पार्टी के कई बड़े नेता शामिल हुए हैं।

राजनीतिक जानकारों ने बताया आखिर बीजेपी के लिए जरूरी हैं वसुंधरा राजे

वही वसुंधरा राजे को इसलिए भी दरकिनार नहीं किया जा सकता है क्योंकि सीएम फेस पर रहते हुए उन्होंने ही साल 2013 में 200 में से 163 सीटों पर पार्टी को जीत दिलाई थी। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी वसुंधरा फैक्टर ही चला। जिसका नतीजा निकला कि प्रदेश की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा के सांसद ही चुने गए। ऐसे में पार्टी को वसुंधरा राजे गुट को साधना जरूरी है।

राजस्थान में भाजपा को जल्द जारी करना होगा सीएम फेस

वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो भारतीय जनता पार्टी में सीएम फेस को लेकर लंबे समय से खींचतान चली आ रही है। लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि आप जल्द ही भाजपा सीएम फेस घोषित करके अपने चुनावी समर को और मजबूत कर लेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भी राजस्थान में भाजपा की सरकार बनाने के लिए लगातार जोर शोर से काम कर रहे हैं। बीते 8 महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अकेले राजस्थान के 5 दौरे कर चुके हैं। वहीं आगामी 2 महीने में पीएम का एक दौरा और प्रस्तावित बताया जा रहा है।

कांग्रेस को भी सचिन पायलट पर जल्द लेना होगा फैसला

वहीं कांग्रेस में भी ठीक इसी तरह के हालात है। क्योंकि पार्टी आलाकमान अभी तक सचिन पायलट की भूमिका तय नहीं कर पाया है वर्तमान में सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ पदयात्रा पर थे। जिसे खत्म करने के बाद उन्होंने सरकार को 15 दिनों का समय दिया है यदि इसके बाद भी उनकी मांगे नहीं मानी जाती तो वह एक बार फिर आंदोलन में उतर जाएंगे। वहीं राजनीतिक जानकारों की माने तो राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा स्थानीय मुद्दों पर चुनाव लड़ेगी। इसका सबसे बड़ा कारण तो यह है कि कांग्रेसी कर्नाटक में स्थानीय मुद्दों से ही चुनाव जीती है। वहीं भाजपा कांग्रेस का यह फार्मूला राजस्थान में लागू कर सकती है।

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