अब अलीगढ़ में मदरसा शिक्षकों की सैलरी तय करेगी मशीन, प्रशासन का बड़ा आदेश

Published : Nov 21, 2025, 03:07 PM IST
aligarh madrasa teachers biometric attendance mandatory

सार

अलीगढ़ जिला प्रशासन ने सभी मदरसों में शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य कर दिया है। अब सैलरी इसी रिकॉर्ड के आधार पर मिलेगी। जिले में 120 पंजीकृत मदरसे हैं। अवैध मदरसों की पहचान की प्रक्रिया फिलहाल रोक पर है।

अलीगढ़। जिले के मदरसों में अब मनमानी उपस्थिति और फर्जी हाजिरी से मुक्ति मिल सकती है। अलीगढ़ जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सभी मदरसा शिक्षकों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है। अब हर शिक्षक की सैलरी उसी रिकॉर्ड पर आधारित होगी, जो मशीन दर्ज करेगी। यह व्यवस्था न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ाएगी, बल्कि सरकारी निगरानी को भी मजबूत करेगी।

बायोमेट्रिक अटेंडेंस अनिवार्य, सैलरी इसी पर निर्भर

जिला अधिकारी संजीव रंजन ने बताया कि यह आदेश उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के अनुसार लागू किया गया है। उन्होंने कहा, "अब से मदरसा शिक्षकों की सैलरी सिर्फ बायोमेट्रिक अटेंडेंस के आधार पर ही जारी की जाएगी।" यह फैसला लंबे समय से चल रही शिकायतों के बाद आया है कि कई जगहों पर शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर अनियमितताएं पाई जाती थीं।

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अवैध मदरसों की पहचान की प्रक्रिया फिलहाल रोक पर

मीडिया से बातचीत के दौरान डीएम से यह भी पूछा गया कि जिले में अवैध मदरसों की पहचान की चल रही प्रक्रिया कहां तक पहुंची है। उन्होंने बताया कि फिलहाल यह अभियान रोक दिया गया है। जिला प्रशासन ने अभी कोई समयसीमा नहीं बताई है कि यह जांच दोबारा कब शुरू होगी।

अलीगढ़ में कितने मदरसे हैं?

जिला अल्पसंख्यक विभाग के आंकड़ों के अनुसार:

  • कुल पंजीकृत मदरसे: 120
  • सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे: 4
  • बिना सरकारी सहायता वाले मदरसे: 116

शिक्षक संख्या और छात्र संख्या

सरकारी सहायता प्राप्त मदरसे:

  • शिक्षक: 55
  • छात्र: 14,000

बिना सहायता वाले मदरसे:

  • शिक्षक: 200
  • छात्र: लगभग 60,000

अलीगढ़ में मदरसों की यह बड़ी संख्या बताती है कि यह फैसला हजारों छात्रों की शिक्षा व्यवस्था पर सीधा प्रभाव डाल सकता है।

नए नियम से क्या होगा बदलाव?

बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू होने से:

  • उपस्थिति में पारदर्शिता बढ़ेगी
  • फर्जी हाजिरी की संभावना कम होगी
  • समय पर कक्षाएं चलने की निगरानी आसान होगी
  • सरकारी सहायता का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा

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