World’s First Ceramic Waste Park In Khurja: योगी सरकार ने खुर्जा में दुनिया का पहला सिरेमिक वेस्ट पार्क ‘अनोखी दुनिया’ बनाया है। 80 टन कचरे से बने इस पार्क में 100 अनोखी कलाकृतियां और 28 बड़ी मूर्तियां हैं। यह पार्क डिज्नी वर्ल्ड को टक्कर देगा!
योगी सरकार ने बुलंदशहर के खुर्जा में दुनिया का पहला “सिरेमिक वेस्ट पार्क” तैयार कराया है। इसे खासतौर पर वेस्ट-टू-आर्ट की अवधारणा पर बनाया गया है। “अनोखी दुनिया” नामक यह पार्क डिज़्नी वर्ल्ड और जुरासिक पार्क जैसे विश्वस्तरीय पार्कों को टक्कर देने का दावा करता है। यहां पर्यटकों को आधुनिकता और परंपरा का अनोखा संगम मिलेगा।
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खुर्जा की पहचान बनेगी ‘अनोखी दुनिया’ पार्क की थीम
खुर्जा पहले से ही ‘सिरेमिक की राजधानी’ के नाम से मशहूर है। यहां बनने वाले बर्तन और सिरेमिक उत्पाद पूरी दुनिया में भेजे जाते हैं। अब यही पहचान “अनोखी दुनिया” पार्क के ज़रिये और मजबूत होगी। पार्क का निर्माण इस तरह किया गया है कि यह न सिर्फ कला को जीवंत करेगा बल्कि खुर्जा को पर्यटन मानचित्र पर भी चमकदार बनाएगा।
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टूटी सुराही, कप और केतली से बनीं अनोखी कलाकृतियां
पार्क में टूटी हुई सुराही, कप, प्लेट और केतली के टुकड़ों को जोड़कर शानदार कलाकृतियां बनाई गई हैं। करीब 100 छोटी-बड़ी कलाकृतियों में से 28 बड़े आर्टवर्क प्रमुख आकर्षण हैं। इन्हें रंग-बिरंगे अंदाज़ में सजाकर पर्यटकों के लिए खास विजुअल ट्रीट तैयार की गई है। यह अनूठी कला हर उम्र के दर्शकों को लुभाएगी।
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छह कलाकार और 120 कारीगरों की मेहनत से बनी कारीगरी
इस पार्क के निर्माण में 6 कलाकारों और 120 कारीगरों ने कई महीनों तक लगातार काम किया। वेस्ट सिरेमिक को शानदार डिजाइन में बदलने का यह प्रोजेक्ट उनकी मेहनत और हुनर की मिसाल है। टीम ने बारीकी से हर डिजाइन तैयार किया ताकि पार्क आने वालों को हर कोने में क्रिएटिविटी का नया अनुभव मिल सके।
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80 टन सिरेमिक कचरे से बनी ‘अनोखी दुनिया’
पार्क को बनाने में करीब 80 टन सिरेमिक कचरे का उपयोग किया गया है। यह वेस्ट-टू-आर्ट का उत्कृष्ट उदाहरण है। टूटी-फूटी वस्तुओं को कचरे में फेंकने के बजाय कलाकृति में बदलना सतत विकास की दिशा में बड़ा कदम है। इस पहल से स्वच्छ भारत अभियान को भी बल मिलेगा और वेस्ट मैनेजमेंट को नई पहचान मिलेगी।
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2 एकड़ में फैला पार्क, बच्चों और बड़ों दोनों के लिए खास
करीब 2 एकड़ में फैले इस पार्क में हर उम्र के लिए कुछ न कुछ खास है। बच्चों के लिए गेमिंग ज़ोन और सेल्फी प्वाइंट बनाए गए हैं। वहीं युवाओं और परिवारों के लिए कैफे और बैठने की सुंदर व्यवस्था है। हरे-भरे वातावरण और रंग-बिरंगी कलाकृतियों के बीच घूमना हर किसी के लिए यादगार अनुभव होगा।
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5.86 करोड़ की लागत, पीपीपी मोड पर बना खास प्रोजेक्ट
यह पार्क करीब 5 करोड़ 86 लाख रुपये की लागत से पीपीपी मोड पर बनाया गया है। सरकार और निजी क्षेत्र की साझेदारी में तैयार यह प्रोजेक्ट भविष्य में अन्य शहरों के लिए भी मॉडल बन सकता है। पार्क की सुंदरता और रखरखाव के लिए न्यूनतम शुल्क लिया जाएगा, जिससे इसकी गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहेगी।
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खुर्जा को मिलेगी नई पहचान, स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल
यह पार्क न केवल खुर्जा की कला को विश्व पटल पर नई पहचान देगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करेगा। यहां आने वाले पर्यटक सिरेमिक उत्पाद खरीदेंगे, जिससे उद्योग को सीधा लाभ मिलेगा। साथ ही यह पार्क रोजगार के नए अवसर पैदा करेगा और सतत पर्यटन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।