माफिया अतीक अहमद के राजनीतिक़ करियर पर भी लग गया ग्रहण, जानिए आखिर कैसे...

उमेश पाल अपहरण केस में सजा के ऐलान के बाद अतीक अहमद के सियासी करियर पर ग्रहण लग गया है। अतीक अहमद सजा के ऐलान के बाद अब चुनाव नहीं लड़ पाएगा। वहीं इसके बाद परिवार के लोगों के सियासी करियर की नाव भी डगमगाती दिख रही है।

प्रयागराज: अपराध के रास्ते चकिया से देश की संसद तक का सफर तय करने वाले अतीक के खिलाफ सजा के ऐलान ने उसके सियासी भविष्य पर ग्रहण लगा दिया है। उमेश पाल अपहरण केस में सजा मिलने के बाद अतीक अहमद अब चुनाव नहीं लड़ पाएगा। जिस सियासी सफर को तय करने के लिए अतीक ने कभी अपराध को हथियार बनाया था उसे कभी नहीं पता था यही रास्ता उसे सियासी करियर पर विराम लगाएगा।

हत्या के केस के बाद अतीक को लगा है बड़ा झटका

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अतीक अहमद की साख को उमेश पाल की हत्या के बाद काफी ज्यादा झटका लगा था। मामले में शाइस्ता सामने आकर काफी हद तक परिवार को निर्दोष बता रही थीं लेकिन पुलिस ने उसकी भी घटना में संलिप्तता बताई। उसके बाद से बेटे असद की तरह ही शाइस्ता परवीन भी लापता हैं। हालांकि अभी तक बीएसपी चीफ मायावती की ओर से शाइस्ता परवीन को बसपा से नहीं निकाला गया है। हालांकि अब उनकी राजनीतिक पारी को लेकर सवाल जरूर खड़ा हो गया। सवाल यह भी है कि जिस टिकट के लिए दौड़भाग कर रही थी वह मिल भी पाएगा या नहीं।

जुर्म के रास्ते ही तय किया था सियासी सफर, अब डगमगाने लगी नाव

आपको बता दें कि अतीक ने 17 साल की उम्र के बाद अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद ही सीढ़ी दर सीढ़ी वह जुर्म के रास्ते पर आगे बढ़ता गया और जरायम की दुनिया में उसने इतना बड़ा नाम बनाया। 1989 में जब अतीक ने शहर पश्चिमी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर बाहुबली चांद बाबा को शिकस्त दी उसके बाद से ही उसका राजनीतिक और आपराधिक कद दोनों ही बढ़ा। इसके बाद उसने चांदबाबा की हत्या की थी। अतीक सियासी करियर के दौरान तीन बार निर्दलीय और 1996 में सपा के टिकट पर चुनाव जीता। अतीक ने 2004 में अपना दल से फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव लड़ा था और उसे जीत हासिल हुई थी। इसके बाद उसने शहर पश्चिमी सीट के उपचुनाव में भाई अशरफ को चुनाव लड़ाया। हालांकि यहां अशरफ को बसपा प्रत्याशी राजू पाल से हार का सामना करना पड़ा और उसी के बाद राजू पाल की सरेआम हत्या कर दी गई। उमेश पाल अपहरण केस में सजा के ऐलान के बाद शाहिस्ता की सियासी नाव डगमगाने लगी है। उमेश पाल की हत्या मामले में शाइस्ता का नाम आने पर वह फरार है और बेटा असद भी फरार है।

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