
लखनऊ: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में 24 अप्रैल को सुनवाई होगी। इसी के साथ यूपी में 2017 से लेकर अभी तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच को लेकर भी शीर्ष अदालत के द्वारा सुनवाई की जाएगी।
पुलिस के एक्शन को लोकतंत्र के लिए बताया खतरा
आपको बता दें कि दाखिल की गई याचिका में जिक्र किया गया है कि पुलिस की ओर से की गई ऐसी कार्रवाई लोकतंत्र और कानून के लिए खतरा है। यह घटनाएं एक पुलिस राज्य की ओर ले जाती हैं। कानून में न्यायेतर हत्याओं और फर्जी पुलिस मुठभेड़ के लिए कोई भी जगह नहीं है। याचिका में यह भी कहा गया है कि लोकतांत्रिक समाज में पुलिस को अंतिम न्याय देने या दंड देने वाली संस्था बनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। दंड देने की शक्ति सिर्फ और सिर्फ न्यायपालिका में ही निहित है।
जांच कमेटी का भी किया गया गठन
दायर की गई याचिका में कहा गया है कि पुलिस जब डेयरडेविल्स बन जाती है तो कानून का पूरा शासन ध्वस्त हो जाता है। पुलिस के खिलाफ लोगों के मन में भय भी उत्पन्न होता है। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक है। इसके परिणाम से अधिक अपराध होते हैं। वहीं पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के द्वारा भी हत्याकांड की सीबीआई जांच कराने की बात कही गई है। उनका कहना है कि इस मामले की तह तक जाने के लिए सीबीआई जांच बहुत ही जरूरी है। ज्ञात हो कि माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को हत्या की गई थी। हमलावरों ने मीडिया औऱ पुलिस के सामने गोली मारकर दोनों की हत्या की थी। इसके बाद हत्यारों के द्वारा सरेंडर कर दिया गया था। हत्याकांड के बाद एसआईटी टीम का गठन जांच के लिए किया गया है। इसी के साथ सरकार ने भी तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का इस मामले में किया है। माना जा रहा है कि इन तमाम रिपोर्ट के बाद पूरे मामले का सच सभी के सामने होगा।
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