
इस बार अयोध्या दीपोत्सव 2025 केवल श्रद्धा और भव्यता का नहीं, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील नवाचार का प्रतीक बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या का यह दिव्य पर्व ‘ग्रीन आतिशबाज़ी’ और ‘इको-दीपोत्सव’ की अवधारणा से पूरी तरह नया रूप ले रहा है। सरयू तट पर जलते लाखों दीप और आकाश में खिलेगा एक ‘ग्रीन सूर्य’ जो न धुआँ फैलाएगा, न शोर, केवल स्वच्छ प्रकाश और हरियाली का संदेश देगा।
दीपोत्सव 2025 का सबसे बड़ा आकर्षण होगा “ग्रीन सूर्य” एक ऐसा आतिशबाज़ी प्रदर्शन जिसमें प्रदूषण नहीं बल्कि पर्यावरण का प्रेम झलकेगा। इस अनोखे दृश्य में इस्तेमाल होंगे ‘ग्रीन केमिकल्स’, जो न तो जहरीला धुआँ छोड़ेंगे, न शोर। आकाश में जब सुनहरी और हरी रोशनी का संगम फैलेगा और उसका प्रतिबिंब सरयू के शांत जल पर पड़ेगा, तो ऐसा लगेगा मानो स्वयं प्रकृति श्रीराम के आगमन पर दीपमालाएँ सजा रही हो।
इस बार दीपोत्सव की सारी आतिशबाज़ियाँ “ग्रीन टेक्नोलॉजी” से तैयार की जा रही हैं। इनमें परंपरागत धातुओं और रासायनिक यौगिकों की जगह कम-कार्बन तत्वों का उपयोग होगा। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, इन ग्रीन पटाखों से नाइट्रोजन ऑक्साइड और कार्बन उत्सर्जन लगभग 40% तक घटेगा। इस तरह दीपोत्सव का हर विस्फोट न केवल प्रकाश फैलाएगा बल्कि स्वच्छ हवा का संदेश भी देगा।
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि दीपोत्सव 2025 का हर आयोजन पर्यावरण संतुलन के अनुरूप हो। उन्होंने कहा “अयोध्या की रोशनी विश्वभर में शांति, स्वच्छता और आस्था का संदेश फैलाए।” इस दिशा में प्रशासन, अवध विश्वविद्यालय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मिलकर सरयू घाट तक ‘शून्य-कार्बन उत्सर्जन ज़ोन’ तैयार किया है। हर आयोजन स्थल को इस तरह सजाया जा रहा है कि उत्सव की भव्यता बनी रहे, पर प्रदूषण शून्य रहे।
दीपोत्सव के मंच पर इस बार का लेज़र शो और आतिशबाज़ी प्रदर्शन सौर ऊर्जा से संचालित होंगे। हर ध्वनि, रोशनी और रंग की लहर डिजिटल सिंकिंग सिस्टम से नियंत्रित होगी। यहाँ विज्ञान, भक्ति और हरियाली का ऐसा संगम दिखेगा जो ‘अग्नि’ को सृजन का प्रतीक बनाएगा।
दीपोत्सव में जलने वाले लाखों दीये इस बार मिट्टी और गोबर मिश्रण से बने हैं। ये बायोडिग्रेडेबल दीये जलने के बाद मिट्टी में मिलकर पर्यावरण को पोषण देंगे। इन दीयों में सरसों के तेल का उपयोग किया जाएगा, जिससे स्थानीय किसान और ग्रामीण महिलाएँ भी लाभान्वित होंगी। एक्सिस कम्युनिकेशंस के वाइस प्रेसिडेंट संजय प्रताप सिंह के अनुसार “यह दीपोत्सव नए भारत की नई अयोध्या का प्रतीक है, जहाँ श्रद्धा और विज्ञान साथ-साथ चलते हैं।”
सरयू पुल के ऊपर तीन हाइड्रा की मदद से 65 फीट ऊँचा प्लेटफॉर्म बनाया जा रहा है, जहाँ से विशेष आतिशबाज़ी होगी। श्रद्धालु यहाँ से चकरी, रिवर्स फायरिंग, एरियल रॉकेट, विसिल क्रैकर, तिरंगा और इंद्रधनुष के रूपों का आनंद लेंगे।
दीपोत्सव 2025 का दिन इतिहास में दर्ज होगा। जब सरयू के ऊपर पहला ‘ग्रीन सूर्य’ खिलेगा और घाटों पर उसका प्रतिबिंब झिलमिलाएगा, तो पूरी दुनिया एक नई अयोध्या देखेगी, जहाँ प्रकाश होगा, पर प्रदूषण नहीं; भव्यता होगी, पर स्वच्छता भी।
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