
राजनीति के अखाड़े में जुबानी जंग एक बार फिर तेज़ हो गई है। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर तीखा पलटवार किया और आरोप लगाया कि सपा का लोकतंत्र व संविधान से कोई सरोकार नहीं है। पाठक ने कहा कि सपा आज उसी कांग्रेस के साथ गठबंधन में खड़ी है जिसने कभी देश पर इमरजेंसी थोपकर लोकतंत्र को रौंद दिया था।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि समाजवादी पार्टी की राजनीति केवल सत्ता पाने तक सीमित है। उन्होंने कहा, “यह वही सपा है जो लोकतंत्र की बात तो करती है, लेकिन उसके व्यवहार और गठबंधन दोनों ही लोकतंत्र-विरोधी हैं। आज अखिलेश यादव उसी कांग्रेस से हाथ मिला रहे हैं जिसने जयप्रकाश नारायण जैसे लोकतांत्रिक योद्धा को जेल में डाल दिया था।” ब्रजेश पाठक ने कहा कि सपा का यह दोहरा चेहरा जनता से छिपा नहीं है। “एक ओर वे जयप्रकाश नारायण जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हैं, दूसरी ओर उन्हीं को जेल भेजने वालों के साथ मंच साझा करते हैं — यही तो सपा की असलियत और राजनीतिक पाखंड है।”
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उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सपा की सोच लोकतांत्रिक नहीं, बल्कि परिवारवादी और स्वार्थवादी है। उन्होंने कहा, “अखिलेश यादव की राजनीति केवल अपने परिवार और सत्ता तक सीमित है। सपा को न राष्ट्र की चिंता है न संविधान की मर्यादा की। जबकि भाजपा बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान का पालन करते हुए जनता की सेवा में कार्यरत है।”
ब्रजेश पाठक ने याद दिलाया कि इमरजेंसी के समय जब देश का लोकतंत्र खतरे में था, तब भाजपा की मूल विचारधारा जनसंघ और आरएसएस के सैकड़ों कार्यकर्ता जेल गए थे। उन्होंने कहा, “जयप्रकाश नारायण जी की जयंती भाजपा पूरे देश में मना रही है क्योंकि हम उनके आदर्शों को जीवंत रखने का काम कर रहे हैं। वहीं सपा उस कांग्रेस के साथ खड़ी है जिसने लोकतंत्र का गला घोंटा था।” उन्होंने कहा कि सपा ने जयप्रकाश नारायण के आदर्शों से विश्वासघात किया है और कांग्रेस से गठबंधन कर सत्ता की सौदेबाजी में लगी है। “जनता सब जानती है, वह तय करेगी कि लोकतंत्र की असली रक्षक कौन है,” पाठक ने कहा।
अपने वक्तव्य के अंत में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, “भाजपा का उद्देश्य केवल सत्ता नहीं, बल्कि राष्ट्र सेवा है। हम लोककल्याण, पारदर्शिता और संविधान की मर्यादा के अनुरूप काम करते रहेंगे। सपा जैसे दल देश को पीछे खींचना चाहते हैं, लेकिन जनता अब जाग चुकी है।”
यह बयान ऐसे समय आया है जब राज्य की राजनीति में विपक्षी दलों के गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। भाजपा ने सपा और कांग्रेस की नजदीकियों को लोकतंत्र के लिए “खतरे की घंटी” बताया है, वहीं अखिलेश यादव इसे "सत्ता के डर से उपजी प्रतिक्रिया" करार दे चुके हैं।
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