प्रयागराज महाकुंभ 2025 में चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल! क्या है रहस्य?

Published : Nov 03, 2024, 09:28 AM IST
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सार

2025 महाकुंभ में क्रांतिकारियों की प्रदर्शनी लगेगी, जिसमें चंद्रशेखर आज़ाद की पिस्टल की प्रतिकृति भी होगी। प्राचीन हथियारों और वीरों की गाथाओं से श्रद्धालु होंगे रूबरू।

प्रयागराज। महाकुंभ 2025 सनातन धर्म का सबसे बड़ा आयोजन बनने जा रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप इस बार महाकुंभ को पहले से ज्यादा विराट और भव्य बनाने की तैयारी चल रही है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय देश को आजादी दिलाने वाले महान क्रांतिकारियों की जीवंत गाथा महाकुंभ के दौरान प्रस्तुत करने जा रहा है। एक ऐसी प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भारत को आजादी दिलाने वाले महान नायक चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल की प्रतिकृति का भी प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा संग्रहालय में मौजूद तमाम प्राचीन हथियारों की प्रतिकृतियां भी देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बनने जा रही हैं।

क्रांतिवीरों की गाथा से कराया जाएगा रूबरू

इलाहाबाद संग्रहालय के डिप्टी क्यूरेटर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार महाकुंभ के दौरान केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय देश विदेश से प्रयागराज आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को भारत की आजादी के महान क्रांतिवीरों की गाथा से रूबरू कराना चाहता है। इसी उद्देश्य से देश के महान क्रांतिवीरों के जीवन से जुड़ी जीवंत प्रदर्शनी के आयोजन की तैयारी है।

प्राचीन हथियारों की प्रतिकृतियां होंगी खास

केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय ने महाकुंभ में प्रदर्शनी के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से जगह मांगी थी। जिसके तहत प्रदेश सरकार संग्रहालय को जगह उपलब्ध करा रही है। इसमें देश के महान क्रांतिवीरों के जीवन परिचय से लोग परिचित होंगे। साथ ही उन्हें आजादी के लिए संघर्ष करने वाले वीरों की कई अनकही कहानियां भी जानने का मौका मिलेगा। वैसे तो यहां कई महान क्रांतिवीरों का जीवंत परिचय साक्षात दिखेगा, लेकिन प्राचीन हथियारों की प्रतिकृतियां विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र रहेंगी। इसमें सबसे खास होगी चंद्रशेखर आजाद की पिस्टल। जिसे आजाद बमतुल बुखारा कहते थे।

बमतुल बुखारा की खूबी

चंद्रशेखर आज़ाद की पिस्टल बमतुल बुखारा से गोली चलने के बाद इसमें धुआं नहीं निकलता था। इसलिए, अंग्रेज़ों को पता ही नहीं चल पाता था कि गोलियां किधर से आ रही हैं। यह कोल्ट कंपनी की .32 बोर की हैमरलेस सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल थी। इसमें एक बार में आठ गोलियों की मैगजीन लगती थी। आजाद की पिस्टल देखने के लिए बड़ी संख्या में इतिहास प्रेमी और पर्यटक आते हैं।

आजाद की इस पिस्टल को प्रयागराज के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है। जिसमें यह पिस्टल, संग्रहालय की आजाद गैलरी की शोभा बढ़ा रही है।

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