
लखनऊ: स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रामचरितमानस को लेकर की गई विवादित टिप्पणी का विरोध मुस्लिम धर्मगुरुओं के द्वारा भी किया गया है। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने कहा कि स्वामी प्रसाद का बयान मजम्मत करने वाला है। गीता, रामायण, कुरान या फिर बाइबल, किसी भी धर्म की पुस्तक पर बोलने से पहले उसके जानकारों से जरूर पूछना चाहिए। उनके द्वारा स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान को सस्ती लोकप्रियता पाने की कोशिश बताया गया।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने की थी रामचरितमानस पर बैन की मांग
आपको बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से रविवार को रामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी की गई थी। उनके द्वारा कहा गया था कि रामचरितमानस की कुछ चौपाईयों के द्वारा जाति के आधार पर बड़े वर्ग का अपमान किया गया है। लिहाजा इस पर बैन लगना चाहिए। स्वामी प्रसाद के इस बयान से सपा ने किनारा करते हुए यह उनका निजी विचार बताया था। वहीं भाजपा का कहना है कि इस बयान पर माफी मांगी जाए और इसे वापस लिया जाए।
मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वामी प्रसाद के बयान पर जताया ऐतराज
मौलाना वासिफ हसन ने कहा कि मुस्लिम औऱ इस्लाम के सच्चे अनुयायी होने के नाते हम हिंदू धर्म और उसके शास्त्रों के प्रति सम्मान करते हैं। मुस्लिम समुदाय की ओर से वह स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से की गई टिप्पमी का कड़ा विरोध करते हैं। इसी के साथ अपेक्षा करते हैं कि वह तत्काल अपने बयान पर माफी मांगे। किसी भी धर्मग्रंथ के बारे में बिना सोचे-समझे ऐसा बयान दिया जाना निंदनीय है। इसी के साथ अयोध्या की बख्शी शहीद मस्जिद के इमाम मौलाना सेराज अहमद खान ने भी सपा नेता की टिप्पणी पर नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस अवधी भाषा में 16वीं शताब्दी में संत तुलसी दास द्वारा लिखा गया था। यह काफी हद तक माना जाता है कि यह महाकाव्य मुगल शासनकाल के दौरान अयोध्या में लिखा गया था, रामचरितमानस के छंद आज भी एक नैतिक समाज, एक आदर्श परिवार व्यवस्था का संदेश देते हैं। स्वामी प्रसाद मौर्य को अपना बयान वापस लेना चाहिए।
मौलाना लियाकत अली ने कहा कि हम इस धार्मिक पुस्तक का सम्मान करते हैं और इसके खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का विरोध करते हैं। उन्होंने मांग की है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान पर माफी मांगे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव उनके बयान पर पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण जारी करें।
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