
लखनऊ: रामचरितमानस को लेकर अपने बयान के चलते चर्चाओं में आए स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर हमला बोला है। जो नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बयान पर विरोध जता रहे थे उनको यह जवाब दिया गया है। उन्होंने सपा नेता मनोज पांडे से लेकर पवन पांडे और बीजेपी नेता अपर्णा यादव को रामचरितमानस की चौपाइयों का जिक्र करते हुए नसीहत दी है।
स्वामी प्रसाद ने अखिलेश यादव की चुप्पी को बताया समर्थन
स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक चैनल से बातचीत में कहा कि अखिलेश यादव की चुप्पी का मतलब समर्थन है। उन्होंने कहा कि मौनं स्वीकृतिः लक्ष्णम् यानी अखिलेश यादव की उनके बयान पर चुप्पी का मतलब है कि वह उसके समर्थन में हैं। रामचरित मानस के विरोध पर उन्होंने कहा कि अपमान का विरोध करना, गाली का विरोध करना और धर्म के नाम पर गाली के प्रयोग को हटाने की मांग करना ये आरोप नहीं बल्कि सम्मान और न्याय की मांग है। अगर यह सम्मान करते हैं तो गाली ने देने की बात करते हैं तो तमाम धर्म के ठेकेदारों को इस बात से पेट दर्द क्यों है।
पार्टी के नेताओं पर भी साधा निशाना
सपा नेता रोली मिश्रा की खिलाफत पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह तो पिद्दी हैं ना... इसलिए ऐसी बचकानी बयानबाजी करने वालों को जवाब देना भी वह उचित नहीं समझते। यह उनकी तौहीन होगी। वहीं पवन पांडे के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य की ओर से कहा गया कि जो आदिवासी हैं, दलित हैं, अनजाने हैं, गाली को ही धर्म मान बैठे हैं और इनके मकड़जाल में फंसे हैं। उन्हीं को सम्मान के साथ खड़ा करने का प्रयास जारी है। जिन नामों का हवाला दिया जा रहा है कि वह कितने ज्ञानी हैं इसको तो जग जानता है। वहीं सपा विधायक मनोज पांडे के 'ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको ठगा नहीं' के बयान पर उन्होंने कहा कि वह(मनोज पांडे) अपने पद पर रहते हुए कितने लोगों को खेत लिखवा लिए? कितने लोगों की जमीन लिखवा लिए? इसको लेकर सभी जानते हैं और इसी के चलते ऐसी हरकत करने वाले लोगों के विषय में कुछ नहीं कहना चाहता। अगर मैं बोल दूंगा तो बहुत से लोगों को भंडाफोड़ हो जाएगा। वहीं बसपा में जाने के सवाल पर स्वामी प्रसाद ने कहा कि वह जिसे छोड़ देते हैं उसकी ओर पलटकर भी नहीं देखते। वह अभी समाजवादी पार्टी के साथ हैं और आगे भी रहेंगे। लोग कोई भी कयास लगाए लेकिन उनके हाथ कुछ भी आने वाला नहीं है।
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