
उत्तर प्रदेश की जमीन पर नशे का ऐसा नेटवर्क खड़ा हो चुका था, जिसकी जड़ें राज्य की सीमाओं से निकलकर पड़ोसी देशों तक फैल चुकी थीं. कोडीन युक्त कफ सिरप के नाम पर चल रहा यह अवैध कारोबार चुपचाप करोड़ों की कमाई कर रहा था. लेकिन उसी अंधेरे नेटवर्क में छिपा एक नाम, बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, पिछले कई दिनों से यूपी एसटीएफ के निशाने पर था. सरेंडर करने की कोशिश में जुटा आलोक, उससे पहले ही एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया.
यूपी एसटीएफ काफी समय से आलोक सिंह की तलाश कर रही थी, जिसे भगौड़ा घोषित किया जा चुका था. कफ सिरप तस्करी सिंडिकेट में उसकी सक्रिय भूमिका सामने आने के बाद जांच तेज की गई. आरोप है कि आलोक सिंह कोडीन-बेस्ड कफ सिरप की एक बड़ी गैर-कानूनी सप्लाई चेन और होलसेल ड्रग यूनिट चलाता था.
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एसटीएफ की जांच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क केवल यूपी तक सीमित नहीं था.
देश के कई राज्यों में कफ सिरप के नाम पर करोड़ों की कमाई हो रही थी और यह कारोबारी चैन वर्षों से एक्टिव थी.
कुछ दिन पहले एसटीएफ ने इस सिंडिकेट के एक और आरोपी अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया था. पूछताछ में उसने कई चौंकाने वाले तथ्य बताए-
वह और उसका साथी शुभम जायसवाल हर साल दुबई और पटाया की यात्राएं करते थे
एसटीएफ जांच में पता चला कि झारखंड की ‘देव कृपा मेडिकल एजेंसी’ और वाराणसी की ‘श्री मेडिकल एजेंसी’ भले ही अमित टाटा के नाम थीं, लेकिन पूरा कंट्रोल शुभम जायसवाल के पास था.
जांच में यह भी सामने आया-
एसटीएफ अब गिरफ्त में आए आरोपियों से पूछताछ कर रही है. किंगपिन शुभम जायसवाल की गिरफ्तारी बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस पूरे सिंडिकेट की कई और परतें अभी खुलना बाकी हैं.
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