अमरोहा के दो दोस्तों की दोस्ती, जो दिल्ली लाल किले के पास मौत की कहानी बन गई!

Published : Nov 11, 2025, 12:06 PM IST
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सार

दिल्ली के लाल किले के पास हुए धमाके में अमरोहा के दो दोस्तों की दर्दनाक मौत हो गई। लोकेश अग्रवाल और अशोक गुज्जर की दोस्ती का ये आखिरी पड़ाव बना लालकिला। दोनों के शव अमरोहा पहुंचते ही इलाके में मातम पसर गया।

अमरोहा। राजधानी दिल्ली के लालकिले के पास सोमवार शाम हुआ धमाका न सिर्फ शहर को दहला गया, बल्कि अमरोहा के दो परिवारों पर भी गम का पहाड़ टूट पड़ा। इस विस्फोट में हसनपुर क्षेत्र के लोकेश अग्रवाल और मंगरोला गांव के अशोक गुज्जर की दर्दनाक मौत हो गई। दोनों जिगरी दोस्त थे और संयोग ऐसा कि जिस वक्त दोनों मिलने वाले थे, उसी समय धमाका हो गया।

अस्पताल से लौटते वक्त दोस्त को बुलाया मिलने, पर नहीं जानता था कि यही आखिरी कॉल होगी

ज़ी न्यूज़ में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, 52 वर्षीय लोकेश अग्रवाल, जो रहरा अड्डा, हसनपुर के रहने वाले थे और खाद विक्रेता थे, सोमवार को अपनी बीमार समधन को देखने दिल्ली के एक अस्पताल गए थे। वहीं उनके बचपन के दोस्त अशोक गुज्जर, दिल्ली परिवहन निगम (DTC) में बस कंडक्टर थे और मंगरोला गांव के निवासी थे। अस्पताल से लौटते समय लोकेश ने अशोक को फोन कर कहा – “चलो, लालकिला मेट्रो स्टेशन के पास मिलते हैं।” मगर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। दोनों दोस्तों की यह मुलाकात जिंदगी की आखिरी मुलाकात बन गई।

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धमाके की गूंज और बिछड़ते रिश्ते

लालकिला मेट्रो स्टेशन के पास जैसे ही दोनों मिलने वाले थे, अचानक जोरदार धमाका हुआ। धमाके की तीव्रता इतनी थी कि आसपास अफरातफरी मच गई। मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि कुछ ही क्षणों में सब कुछ धुएं और चीख-पुकार में बदल गया। दोनों दोस्तों की मौके पर ही मौत हो गई।

अमरोहा में गम का सागर, एक साथ पहुंचे दोनों के शव

मंगलवार सुबह पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शव दिल्ली से अमरोहा पहुंचे। सबसे पहले लोकेश अग्रवाल का पार्थिव शरीर रहरा अड्डा पहुंचा, कुछ ही देर बाद अशोक गुज्जर का शव मंगरोला गांव लाया गया। दोनों घरों में चीख-पुकार मच गई। परिजनों और रिश्तेदारों का रो-रोकर बुरा हाल था। पूरा इलाका शोक में डूब गया, सड़कें लोगों से भर गईं, हर आंख नम थी।

दोस्ती की मिसाल, जो आखिरी सफर में भी साथ रही

रहरा अड्डा और मंगरोला गांव में सैकड़ों लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। दोनों दोस्तों की जोड़ी, जो हर खुशी-दुख में साथ नजर आती थी, अब आखिरी यात्रा में भी एक साथ चली गई। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने परिजनों को सांत्वना दी और कहा कि यह घटना पूरे जिले के लिए एक गहरी क्षति है।

दोस्त की याद में सिसकता अमरोहा

लालकिले के पास हुई वह मुलाकात, जो कभी दोस्ती की मिसाल बनने वाली थी, अब हमेशा के लिए दर्द की कहानी बन गई। दोनों परिवारों ने सरकार से मांग की है कि दोषियों की जल्द से जल्द पहचान की जाए और पीड़ित परिवारों को उचित सहायता मिले।

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