22 साल बाद लौटा ‘गुमशुदा बेटा’: बांग्लादेश में जिंदा मिला गाजीपुर का इकबाल

Published : Nov 04, 2025, 02:56 PM IST
ghazipur missing man found alive in bangladesh after 22 years

सार

गाजीपुर के इचवल गांव का मोहम्मद इकबाल 22 साल पहले लापता हो गया था। अब उसकी लोकेशन बांग्लादेश में मिली है, जहां वह मस्जिद में सेवादार के रूप में काम कर रहा है। परिवार को उसके जिंदा होने की खबर से खुशी के साथ-साथ चिंता भी सताने लगी है।

गाजीपुर: 22 साल पहले जिस बेटे के लौट आने की उम्मीद परिवार ने लगभग छोड़ दी थी, उसी का फोन अब बांग्लादेश से आया है। गाजीपुर जिले के सैदपुर ब्लॉक के इचवल गांव के रहने वाले मोहम्मद इकबाल की खबर जब परिवार तक पहुंची, तो खुशी के साथ हैरानी भी छा गई। एक ओर परिवार को अपने लापता बेटे के जिंदा होने की राहत मिली, वहीं दूसरी ओर अब आर्थिक तंगी ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है, क्योंकि उन्हें इकबाल को भारत वापस लाने के लिए पैसों की सख्त जरूरत है।

2003 में हुआ था लापता, हर मजार-मस्जिद में की थी तलाश

साल 2003 में मानसिक रूप से कमजोर इकबाल अचानक घर से गायब हो गया था। परिजनों ने जगह-जगह तलाश की, मजारों और मस्जिदों में उसके लिए दुआएं मांगीं, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। आखिरकार उन्होंने हार मानते हुए पुलिस में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। वर्षों तक परिवार इंतजार करता रहा, लेकिन कोई खबर नहीं आई।

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बांग्लादेश में मस्जिद के सेवादार के रूप में कर रहा काम

खानपुर थानाध्यक्ष राजीव पांडेय के अनुसार, हाल ही में एक दक्षिण भारतीय एनजीओ और एचएएम रेडियो क्लब कोलकाता ने इकबाल की तस्वीर पहचान कर उसकी लोकेशन ट्रेस की। जांच में पता चला कि इकबाल वर्तमान में बांग्लादेश की एक मस्जिद में सेवादार के रूप में काम कर रहा है। क्लब के चेयरमैन अंबरीश नग विश्वास ने वहां की स्थानीय पुलिस से संपर्क कर इकबाल की पहचान की पुष्टि कराई।

कोलकाता पुलिस और एनजीओ की मदद से मिला सुराग

कोलकाता पुलिस ने खानपुर पुलिस से संपर्क किया, जिसके बाद पुरानी फाइलें खोली गईं। पुलिस ने जब परिवार से संपर्क किया तो सभी स्तब्ध रह गए। वर्षों बाद जब उन्होंने इकबाल की तस्वीर देखी, तो आंखों में आंसू और चेहरे पर मुस्कान दोनों थे।

बहन ने कहा ‘जहां रहे, खुश रहे’

इकबाल की बहन शबनम ने बांग्लादेश में अपने भाई से बात की। बातचीत के दौरान भावनाएं उमड़ पड़ीं। उन्होंने कहा, “हमारी मां नजमा बेगम और पिता कमालुद्दीन अब बूढ़े और बीमार हैं। भाई को जिंदा देखकर हम बहुत खुश हैं। बस अब यही दुआ है कि वह जहां भी रहे, खुश रहे।”

आर्थिक तंगी बनी सबसे बड़ी रुकावट

परिवार की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनके पास इकबाल को भारत लाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं। वे चाहते हैं कि सरकार या कोई संस्था मदद करे ताकि 22 साल बाद बिछड़ा बेटा अपने देश की मिट्टी में लौट सके।

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