बाबा विश्वनाथ को रोज स्पेशल ठंडाई चढ़ाई जाती है। इस ठंडाई (Holi Thandai Recipe in Hindi) को बनाने में तकरीबन तीन घंटे का समय लगता है और इसे 70 सालों से एक ही परिवार के द्वारा तैयार किया जा रहा है।
वाराणसी: होली के त्यौहार को लेकर लगातार तैयारी जारी है। यूपी में कई जगहों पर होली को लेकर अलग सा उत्साह देखने को मिलता है। इसी कड़ी में बनारस की होली को लेकर भी लोग दूर-दूर से वहां पहुंचते हैं। बनारस में ठंडाई के बिना होली का मजा अधूरा सा रहता है। बताया जाता है कि ठंडाई पीने की यह परंपरा नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ से जुड़ी हुई है। खास बात है कि काशी विश्वनाथ में सिर्फ होली पर ही नहीं बल्कि हर दिन ठंडाई का भोग लगाता है। सप्तऋषि आरती से ठीक पहले बाबा को ठंडाई का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
बाबा को चढ़ाई जाती है कई तरह की ठंडाई
आपको बता दें कि बाबा को चढ़ने वाली ठंडाई की एक और खास बात है। जो ठंडाई बाबा को चढ़ती है उसे पिछले 3 पीढ़ियों से एक ही परिवार के द्वारा तैयार किया जा रहा है। जिन लोगों के द्वारा इस ठंडाई को तैयार किया जाता है उनकी खुद की दुकान 'बाबा ठंडाई' के नाम से है। बाबा विश्वनाथ को अलग-अलग सीजन में अलग-अलग तरह की ठंडाई चढ़ाई जाती है। काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत कुलपति तिवारी की ओर से जानकारी दी गई कि सप्तर्षि आरती से पहले भोग में बाबा विश्वनाथ को ठंडाई भी चढ़ाई जाती है। मौसम के हिसाब से ही इस ठंडाई को तैयार किया जाता है। बाबा को केशर, पिस्ता, बादाम, आम, अमरूद और बेल की भी ठंडाई चढ़ाई जाती है। ठंडाई के निर्माण में अगर किसी चीज का सबसे ज्यादा ख्याल रखा जाता है तो वह शुद्धता है।
70 सालों से बाबा की सेवा में लगा है परिवार
ठंडाई को बनाने वाले शंकर सरीन काफी खुशी के साथ यह बताते हैं कि उनका परिवार लगभत 70 सालों से बाबा की सेवा में लगा है और ठंडाई के प्रसाद का निर्माण कर रहा है। शंकर सरीन के अनुसार उनके पिता अमरनाथ सरीन ने इस परंपरा को शुरू किया था। जिसके बाद अब वह इस पंरपरा को निभा रहे हैं। वह इसे अपना सौभाग्य बताते हैं कि उनके द्वारा बनाई गई ठंडाई बाबा को चढ़ाई जाती है। ठंडाई के साथ ही बाबा को भांग की बूटी भी चढ़ाई जाती हैं। बाबा विश्वनाथ के इस ठंडाई को बनाने में तीन घण्टे का समय लगता है।
खास तरीके से होती है तैयार
बाबा को चढ़ने वाली खास ठंडाई को बेहद खास तरीके से ही बनाया जाता है। उसे दूध, केशर, बादाम, पिस्ता, मलाई से तैयार किया जाता है। शंकर सरीन कहते हैं कि सबसे पहले दूध को खौलाया जाता है और उसके बाद उसमें पिस्ता, बादाम, केशर, काजू आदि चीजों को पीसकर उनका पेस्ट बनाकर मिलाया जाता है। पेस्ट के अच्छी तरह से मिलने के बाद उसमें मलाई और फिर ऊपर से केसर डाला जाता है।