लोकसभा-विधानसभा चुनाव के बाद शहर की सरकार में करोड़पतियों की भरमार, पिछले साल की तरह है ढेर सारे मालदार उम्मीदवार

साल 2017 के नगर निकाय चुनाव की तरह इस बार भी मैदान में करोड़पति उतरे है। अब सिर्फ लोकसभा या विधानसभा ही नहीं बल्कि शहर की सरकार बनाने में भी करोड़पतियों की भरमार लगी हुई है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव के लेकर पार्टियां पूरी तैयारियां करने में लगी हुई हैं तो वहीं शहर की सरकार बनाने में करोड़पति भी लगातार अपने हाथ आजमाते जा रहे हैं। दूसरी ओर जनता भी इन्हें चुनने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले नगर निकाय चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में भी 586 ऐसे उम्मीदवार चुनाव जीत गए थे, जिनकी संपत्ति एक करोड़ से ज्यादा थी। इसके अलावा महापौर के चुनावी रण में तो 16 में से 13 प्रत्याशी जीते जो लखपति नहीं बल्कि करोड़पति थे। साल 2023 में होने वाले निकाय चुनाव में भी ऐसे ही खूब उम्मीदवार मैदान में कूद रहे हैं।

सभी पदों पर है करोड़पतियों के जीतने वालों की भरमार

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निकाय चुनाव ही नहीं बल्कि किसी भी चुनाव में धनबल का प्रयोग समय के साथ बढ़ता ही जा रहा है। हालांकि इस चुनाव में भी राज्य निर्वाचन आयोग ने सभी उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा तय की और सख्ती से निर्देश दिए हैं कि चुनाव खर्च पर सभी पर पैनी नजर रखी जाए। इस आदेश के बाद भी गुपचुप तरीके से धन खर्च करने की भी शिकायतें मिलती रही हैं। लोकसभा और विधानसभा में तो करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है मगर यह स्थिति निकाय चुनाव में भी हो गई है। मैदान में उतरे उम्मीदवारों में बड़ी संख्या ऐसे करोड़पतियों की है जो चुनाव जीत गए फिर चाहे वो नगर निगम में महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष या फिर नगर पंचायत का पद हो। इन सभी जगह पर करोड़पतियों के जीतने वालों की भरमार है।

महापौर या अध्यक्ष से कम नहीं है पार्षद या सदस्य

नामांकन पत्र के साथ जमा किए गए संपत्ति घोषणा शपथ पत्र में चल और अचल संपत्तियों का जो ब्यौरा दिया गया है, उसके हिसाब से देखा जाए तो पिछले चुनाव में नगर पंचायत अध्यक्ष पर ही सौ से ज्यादा प्रत्याशी ऐसे जीते जिनकी संपत्ति एक करोड़ के पार थी। इस मामले में पार्षद या सदस्य भी संपत्ति के मामले में अध्यक्ष या महापौर से कम नहीं है। साल 2017 के नगर निकाय चुनाव में 391 पार्षद और सदस्य ऐसे रहे जिनकी संपत्ति करोड़ों में थी। सभी का चल और अचल संपत्ति का योग कई करोड़ों में था और अगर उनके जीवन साथी का भी आंकड़ा जोड़ा जाए तो यह आकड़ा और भी बढ़ जाता है। इसके अलावा कई उम्मीदवार तो ऐसे थे, जिनकी जीवन साथी के नाम संपत्ति ज्यादा थी।

बसपा, बीजेपी, कांग्रेस, सपा के उम्मीदवार है करोड़पति

साल 2023 में होने जा रहे नगर निकाय चुनाव के पहले चरण के लिए 37 जिलों में चुनाव होना है। इस बार भी दस नगर निगमों में करोड़पतियों की संख्या कम नहीं है। अभी तक दाखिल हुए नामांकन पत्र में निगमों में ही तीस से अधिक करोड़पति उम्मीदवार दाखिल कर चुके हैं। राज्य की राजधानी लखनऊ की अगर बात करें तो यहां की बसपा प्रत्याशी शाहीन बानो के पास 27 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति है। बीजेपी प्रत्याशी सुषमा खर्कवाल के पास दो करोड़ से ज्यादा तो वहीं कांग्रेस उम्मीदवार संगीता जायसवाल के पास सात करोड़ की संपत्ति है। इसके अलावा प्रदेश के मुरादाबाद जिले में भी समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी करोड़पति हैं। साथ ही वाराणसी में बीजेपी, बसपा, कांग्रेस तीनों महापौर पद के उम्मीदवार करोड़पति हैं।

प्रत्याशियों के खर्च पर रहेगी अधिकारियों की पैनी नजर

राज्य निर्वाचन आयोग ने पहले ही निर्देश दे दिए है कि चुनाव में प्रत्याशी तय सीमा से ज्यादा खर्च न कर सकें। इसके लिए विभाग की पैनी नजर बनी हुई है। इस बात की जानकारी राज्य निर्वाचन आयुक्त मनोज कुमार ने प्रदेश के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को दे दी है। उन्होंने कहा है कि प्रत्याशियों के खर्च पर लगातार निगरानी के साथ-साथ उड़न दस्ते बनाए जाए। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा है कि प्रत्याशियों के खर्च पर यह भी देखा जाए कि मतदाताओं को लुभाने या प्रभावति करने के लिए धनबल का इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है। इसकी चेकिंग के लिए नियमित अभियान चलाने को भी कहा है। इन सबके अलावा वह कहते है कि अगर कहीं भी इस तरह की सूचना आती है तो तुरंत सख्त एक्शन करने के निर्देश दिए गए हैं।

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