सपा ने महापौर के घोषित उम्मीदवारों में से एक भी यादव को नहीं दिया टिकट, जानिए जातीय समीकरण साधने के साथ पार्टी की क्या है खास योजना

समाजवादी पार्टी ने महापौर प्रत्याशियों में से अभी तक किसी भी यादव को कोई टिकट नहीं दिया है। इसके साथ ही पार्टी ने जातीय समीकरण करने के साथ ही खास रणनीति भी तैयार की है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव में सभी पार्टियां प्रत्याशियों का ऐलान कर रही तो वहीं समाजवादी पार्टी ने उम्मीदवारों की घोषणा में क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को साधने की भरपूर कोशिश की है। प्रत्याशियों का नाम घोषित करने के साथ ही पार्टी यह संदेश देने का प्रयास कर रही है कि पार्टी सभी जाति व धर्म के लोगों को साथ लेकर चलने को तैयार है। दरअसल पार्टी की ओर से अभी तक महापौर के घोषित उम्मीदवारों में चार ब्राह्मण, दो-दो मुस्लिम, कायस्थ व दलित और एक-एक वैश्य, गुर्जर, निषाद, कुर्मी व क्षत्रिय पर दांव लगाया गया है। इसके अलावा रामनगरी अयोध्या से डॉ. आशीष पांडेय को उम्मीदवार बनाकर दोहरा संदेश दिया गया है।

पार्टी ने उच्च शिक्षित समाज को जोड़ने का किया प्रयास

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आशीष खांटी समाजवादी व पूर्व विधायक जयशंकर पांडेय के बेटे हैं। इससे पार्टी ने संदेश देने का प्रयास किया है कि वह नए लोगों के साथ-साथ पुराने समाजवादियों को भी तवज्जो दे रही है। उसके लिए ब्राह्मण भी महत्वपूर्ण हैं। इसी वजह से अयोध्या में बीजेपी के हिंदुत्व कार्ड का जवाब देने की भी कोशिश की है। मथुरा में भी पंडित तुलसीराम शर्मा के जरिए जातीय गणित साधने के साथ पुराने कार्यकर्ताओं को मौका देने का संदेश दिया गया है। वहीं कानपुर में विधायक अमिताभ वाजपेयी की पत्नी वंदना वाजपेयी को उम्मीदवार बनाकर यहां के वोटबैंक में सेंध लगाने का प्रयास किया है। इसके अलावा राज्य की राजधानी लखनऊ में भी वंदना मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर पार्टी ने न सिर्फ जातीय समीकरण साधा है बल्कि उच्च शिक्षित समाज को जोड़ने की भी कोशिश की है।

मुस्लिम समेत निषाद-गुर्जर वोटबैंक को सहेजने में लगी पार्टी

पार्टी ने मुस्लिम बहुल अलीगढ़ में पूर्व विधायक जमीर उल्ला खां और फिरोजाबाद में मशरूर फातिमा एवं कायस्थ बहुल वाले इलाके प्रयागराज में अजय श्रीवास्तव और बरेली में संजीव सक्सेना को उम्मीदवार बनाकर यह संदेश दिया है कि जिसका जहां वोटबैंक है, उसको मौका दिया जाएगा। गोरखपुर में काजल निषाद के जरिए इस बिरादरी को एकजुट करने की कवायद की तो वहीं मेरठ में विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को टिकट देकर गुर्जर वोट बैंक को इकत्रित करने की कोशिश की गई है। गाजियाबाद में नीलम गर्ग के जरिए वैश्य समाज और शाहजहांपुर से अर्चना वर्मा के जरिए कुर्मी समाज को जोड़ने की कोशिश की गई है।

15 उम्मीदवारों में से पार्टी ने एक भी यादव को नहीं दिया टिकट

ताजनगरी आगरा में ललिता जाटव और झांसी में पूर्व विधायक सतीश जतारिया के जरिए दलित वोटरों व पुराने कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया गया है कि उन्हें किसी न किसी रूप से मौका मिलता रहेगा। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी का कहना है कि सपा हमेशा हर वर्ग को साथ लेकर चलती रही है। इसी वजह से निकाय चुनाव के टिकट बंटवारे में समाजिक समीकरण का पूरा ध्यान रखा गया है। आगे कहते है कि समाजवादी पार्टी ही हर वर्ग को हक दिला सकती है और इसका उदाहरण महापौर के घोषित प्रत्याशी हैं। बता दें कि पार्टी ने महापौर के 15 उम्मीदवारों में एक भी यादव को टिकट नहीं दिया है। इस पर वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि नगर निगम वाले इलाकों में यादव बिरादरी की आबादी कम है तो कोई उम्मीदवार नहीं बनाया गया है। मगर जिस वार्ड में उनकी आबादी है, वहां पर सभासद और पार्षद के दावेदार बनाए गए हैं।

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