
राजधानी की सड़कें अक्सर जाम में फंसी रहती हैं, और सबसे बड़ी समस्या का नाम है तेलीबाग चौराहा। रोजाना हजारों लोग यहां समय और धैर्य खोते हैं, कई बार तो मरीजों की जान तक मुश्किल में पड़ जाती है। अब सरकार ने इस परेशानी से निजात दिलाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। तीन साल से अटकी तेलीबाग फ्लाईओवर परियोजना को आखिरकार मंजूरी मिल गई है।
तेलीबाग चौराहे की जाम समस्या को हल करने के लिए प्रस्तावित इस फ्लाईओवर का पहला सर्वे 3 साल पहले हुआ था। तब इसकी लागत करीब 145 करोड़ रुपये आंकी गई थी। लेकिन मंजूरी न मिलने से प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। अब शासन के निर्देश पर दोबारा सर्वे हुआ और लागत बढ़कर 161 करोड़ रुपये हो गई। परियोजना को कार्ययोजना में शामिल कर निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की तैयारी है।
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तेलीबाग चौराहे की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां आलमबाग, कैंट, वृंदावन कॉलोनी सहित 6 मुख्य सड़कें मिलती हैं। सेतु निगम के आंकड़ों के मुताबिक रोजाना 1 लाख से ज्यादा छोटे-बड़े वाहन इस मार्ग से गुजरते हैं। यही वजह है कि यहां ट्रैफिक दबाव हमेशा बना रहता है। एसजीपीजीआई अस्पताल की ओर जाने वाले एंबुलेंस और मरीजों को भी अक्सर जाम की वजह से परेशानी झेलनी पड़ती है।
तेलीबाग फ्लाईओवर के बनने से रायबरेली रोड, आलमबाग रोड, छावनी क्षेत्र, वृंदावन कॉलोनी और एसजीपीजीआई अस्पताल जाने वाले लोगों को जाम से राहत मिलेगी। साथ ही आगरा एक्सप्रेसवे और कानपुर रोड से आने-जाने वाले वाहनों का दबाव भी कम होगा। फ्लाईओवर के पूरा होते ही कैंट से रायबरेली रोड और आलमबाग वीआईपी रोड से शहीद पथ तक बिना ट्रैफिक जाम के सफर करना आसान हो जाएगा।
तेलीबाग फ्लाईओवर को लेकर लखनऊवासियों की उम्मीदें अब और बढ़ गई हैं। लोग चाहते हैं कि निर्माण कार्य तेजी से पूरा हो ताकि जाम से छुटकारा मिल सके और सफर आसान हो जाए।
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