अयोध्या में मीरजापुर का कमाल! अब इन बर्तनों में लगेगा रामलला को भोग, पढ़िए पूरी खबर

Published : Oct 12, 2025, 11:58 PM IST
mirzapur flower metal utensils for ram lalla bhog ayodhya

सार

मीरजापुर में निर्मित विशेष फूल धातु के बर्तनों में अब अयोध्या धाम में भगवान श्रीरामलला को भोग लगाया जाएगा। विहिप के चंपत राय की इच्छा पर बने इन बर्तनों का पूजन-अर्चन कर अयोध्या रवाना किया गया। यह मीरजापुर के शिल्पकारों के लिए गर्व का क्षण है।

मीरजापुर के लिए यह दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। अब अयोध्या धाम में विराजमान भगवान श्रीरामलला को भोग लगाने के लिए मीरजापुर में निर्मित विशेष फूल धातु के बर्तनों का उपयोग किया जाएगा। यह कदम श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री एवं विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय की इच्छा के अनुरूप उठाया गया है। रविवार को विधिवत पूजन-अर्चन के साथ इन पात्रों को अयोध्या रवाना कर दिया गया।

विहिप के मार्गदर्शन में हुआ निर्माण

विहिप के पूर्व प्रांत संगठन मंत्री मनोज श्रीवास्तव ने इस पूरे कार्य की जिम्मेदारी संभाली। उन्होंने मीरजापुर के प्रमुख मेटल उद्योग व्यापारियों से संपर्क कर फूल धातु के इन बर्तनों के निर्माण की पहल की। इसे मीरजापुर के व्यापारियों ने गर्व का अवसर मानते हुए पूरी निष्ठा और परंपरागत कौशल के साथ संपन्न किया। रविवार को लाल डिग्गी स्थित मनोज श्रीवास्तव के आवास पर वेद मंत्रों के साथ श्रीरामलला का स्मरण करते हुए पूजन-अर्चन किया गया। इसी के बाद अयोध्या धाम के लिए इन विशेष पात्रों को रवाना किया गया।

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परंपरा और विज्ञान का अद्भुत संगम

मीरजापुर के शिल्पकारों द्वारा बनाए गए इन फूल धातु के बर्तनों में परंपरा, आस्था और विज्ञान का सुंदर मेल देखने को मिलता है। इनमें कुल 24 थालियां, 72 कटोरियां, 24 गिलास, 24 प्लेटें और 24 चम्मचें शामिल हैं। सभी बर्तनों का कुल वजन लगभग 77 किलोग्राम है। इन पात्रों को विशेष फूल धातु मिश्रण से बनाया गया है, जिसमें तांबा, जस्ता और टिन जैसे तत्व आयुर्वेदिक दृष्टि से संतुलित अनुपात में सम्मिलित किए गए हैं। माना जाता है कि इस धातु से बने बर्तन न केवल धार्मिक रूप से पवित्र होते हैं, बल्कि इनमें रखे गए प्रसाद का गुण भी बढ़ता है।

मीरजापुर के शिल्पकारों के लिए सम्मान का क्षण

मीरजापुर सदियों से अपनी धातु कला के लिए प्रसिद्ध रहा है। अब जब रामलला को भोग के लिए यहीं की निर्मित थालियों का उपयोग होगा, तो यह पूरे जिले के लिए गौरव का क्षण है। स्थानीय व्यापारियों ने कहा कि अयोध्या जैसे पवित्र धाम के लिए कुछ योगदान देना उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

विशेषज्ञों का कहना है कि फूल धातु का प्रयोग भारतीय परंपरा में केवल सौंदर्य के लिए नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और ऊर्जा संतुलन के लिए भी किया जाता रहा है। इसीलिए यह निर्णय धार्मिकता के साथ-साथ वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

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