माफिया से माननीय बनने की मुख्तार अंसारी की कहानी, देश के विभिन्न जेलों में रहकर जीता चुनाव

कभी शानदार एथलीट रहे मुख्तार अंसारी ने जुर्म की दुनिया में प्रवेश करने के बाद राजनीति में कदम रखा था।

Dheerendra Gopal | Published : Mar 28, 2024 5:46 PM IST / Updated: Mar 29 2024, 09:45 AM IST

Mukhtar Ansari Death: पूर्वांचल में माफियाराज का प्रमुख नाम रहे पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी को राजनीति विरासत में मिली। स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ा रहा उनका परिवार राजनीति के ऊंचे ओहदों पर रहा है। लेकिन मुख्तार अंसारी की जुर्म की दुनिया में कदम रखने के साथ ही दबदबा तो कायम रहा लेकिन आपराधिक छवि पहचान बन गई।

पहली बार 1996 में मुख्तार अंसारी बने थे विधायक

कभी शानदार एथलीट रहे मुख्तार अंसारी ने जुर्म की दुनिया में प्रवेश करने के बाद राजनीति में कदम रखा था। 1996 में वह मऊ से पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वह लगातार विधायक रहे। देश के विभिन्न जेलों में बंद रहने के बाद भी वह लगातार चुनाव जीतते रहे। मुख्तार अंसारी, यूपी के मऊ विधानसभा से 2002, 2007, 2012 और 2017 में विधायक चुने गए। अपने जीवन का आखिरी तीन चुनाव वह विभिन्न जेलों में रहते हुए जीते।

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में जुड़ा नाम

गाजीपुर जिले के बीजेपी के चर्चित विधायक कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी की अदावत पूरे पूर्वांचल में माफिया गिरोहों का समीकरण बदल कर रख दिया था। दरअसल, यह अदावत उस समय और तेज हो गई जब गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट को अंसारी परिवार से कृष्णानंद राय ने छीन ली। 1985 से अंसारी परिवार के पास मोहम्मदाबाद सीट रही लेकिन 2002 के चुनाव में यहां बीजेपी के कृष्णानंद राय जीते। लेकिन तीन साल बाद 2005 में कृष्णानंद राय को गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। इस हत्याकांड में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था। 

विधायक कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम से लौट रहे थे। उसी दौरान उनकी गाड़ी को चारों ओर से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग कर उनकी जान ले ली गई। पहले से रेकी कर कृष्णानंद राय की गाड़ी को ऐसी सड़क पर घेरा गया कि उनके गाड़ी आगे पीछे करने तक की जगह नहीं मिली। हमलावरों ने AK-47 से तकरीबन 500 गोलियां चलाई। कृष्णानंद राय सहित गाड़ी में सात लोग थे। कोई भी नहीं बचा था।

 

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