पूर्व प्रिंसिपल से अब UP की मोस्ट वांटेड महिला अपराधी, करोड़ों के स्कैम के साथ घोषित है 5 लाख का इनाम, जानें पूरा मामला

यूपी की मोस्ट वांटेड महिला अपराधी में एक नाम पूर्व प्रिंसिपल का भी है। इतना ही नहीं उनपर पांच लाख का इनाम भी घोषित है। साल 2019 से फरार अपराधी को पुलिस ढूंढ़ रही है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में इन दिनों कई महिलाओं की चर्चा मोस्ट वांटेड में हो रही है। जिसमें से ताजा नाम माफिया अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन और दूसरी बाहुबली मुख्तार अंसार की पत्नी अफशां है। दोनों पर ही हजारों रुपए का इनाम घोषित किया गया है। वहीं अब एक और नाम मोस्ट वांटेड महिला का नाम सामने आ रहा है। यूपी की टॉप मोस्ट वांटेड महिला अपराधी दीप्ति बहल, जिन पर पांच लाख रुपए का इनाम है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि प्रदेश के बागपत जिले के एक कॉलेज की प्रिंसिपल थी लेकिन आज दीप्ति के अपराधिक रिकॉर्ड की जांच तीन अलग-अलग एजेंसियां जांच कर रही हैं।

4500 करोड़ रुपए का यह पूरा स्कैम

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प्रिसिंपल दीप्ति बहल को राज्य की मोस्ट वांटेड महिला के रूप में तलाश किया जा रहा है। इतना ही नहीं उनके खिलाफ अब रेड कॉर्नर नोटिस जारी किए जाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल नोएडा के लोनी में रहने वाली दीप्ति बाइक बॉट घोटाले की मुख्य आरोपियों में से एक है। साथ ही वह बाइक टैक्सी वेंचर को बढ़ावा देने की आड़ में नोएडा से ऑपरेशन चलाने वाले मास्टरमाइंड संजय भाटी की पत्नी है। धोखाधड़ी के आंकड़ों को लेकर जांच एजेंसियां अलग-अलग अनुमान लगाते हैं क्योंकि इसके कनेक्शन कई राज्यों से भी जुड़े हुए हैं। वहीं इस मामले की जांच कर रही मेरठ आर्थिक अपराध शाखा का अनुमान है कि यह स्कैम करीब 4500 करोड़ रुपए का है।

पति ने कंपनी का बनाया अतिरिक्त निदेशक

प्रिंसिपल दीप्ति बहल (40) पर साल 2019 में घोटाले को लेकर पहला मामला दर्ज हुआ था और तभी से वह फरार है। पूरे देश में 250 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। मेरठ में ईओडब्ल्यू के एक अधिकारी का कहना है कि साल 2019 में घोटाले की जांच कर रही यूपी पुलिस ने पाया कि दीप्ति के पति संजय भाटी और उनके परिवार के सदस्यों ने 20 अगस्त 2010 को गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल) नामक एक रियल एस्टेट कंपनी बनाई। यह कंपनी ग्रेटर नोएडा से बाइक बॉट की प्रमोटर बनी। वह आगे कहते है कि साल 2017 के अगस्त महीने में भाटी ने अपनी फर्म के जरिए से बाइक बॉट- जीआईपीएल की ओर से संचालित बाइक टैक्सी योजना को शुरू किया। साथ ही दीप्ति को कंपनी में अतिरिक्त निदेशक बनाया गया।

कॉलेज की वेबसाइट में दीप्ति को बताया प्रिंसिपल

अधिकारी का यह भी कहना है कि कोर्ट की एक सुनवाई के दौरान उसके वकील ने दावा किया कि वह कंपनी की एक गैर-कार्यकारी निदेशक थी। दीप्ति ने 14 फरवरी 2017 को फर्म से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि साल 2019 में बाइक बॉट घोटाले में पहला मामला दर्ज होने के बाद ही वह फरार हो गई। वह आगे कहते है कि जांच के दौरान पता चला कि दीप्ति की शादी से पहले वह बागपत में शिक्षक थीं। मगर उसके अस्तित्व का कोई सही रिकॉर्ड कॉलेज में नहीं मिला। दीप्ति बहल को लेकर जब पड़ताल की गई तो मामला सही पाया गया। बड़ौत कॉलेज ऑफ एजुकेशन, बागपत की वेबसाइट (barautcollegeofeducation.org) में दीप्ति को प्रिंसिपल बताया गया है। जिसमें यह भी कहा गया है कि दीप्ति ने एमए और पीएचडी की है। यह कॉलेज चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड है।

रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की हो रही कार्रवाई

बाइक बॉट घोटाले में दीप्ति बहल का नाम सामने आने के बाद जांच शुरू हुई। पहली बार साल 2020 में ईडब्लओ ने दीप्ति के पकड़े जाने पर 50 हजार रुपए के इनाम की घोषणा की थी। उसके बाद मार्च 2021 में जांच एजेंसियों ने लोनी में उसके आवास को कुर्क कर दिया। इससे पहले भी मेरठ में उसके घर की तलाश लेने वाली टीमों ने पाया कि वह करीब दस साल पहले शहर छोड़कर चली गई थी। वहीं पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने घोटाले में दर्ज सभी मामलों को क्लब करने का आदेश जारी किया था। दूसरी ओर वहीं सूत्रों का दावा है कि हो सकता है कि दीप्ति जल्द ही देश छोड़कर भाग गई हो। फिलहाल दीप्ति और मामले के एक अन्य आरोपी भूदेव सिंह के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की कार्रवाई चल रही है।

216 करोड़ रुपए से अधिक संपत्ति हुई है जब्त

दीप्ति बहल को लेकर अधिकारी का कहना यह भी है कि ग्रेटर नोएडा में दर्ज सभी 118 मामलों और देश भर में दायर 150 से अधिक अन्य मामलों में है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल किए गए 31 लोगों और 13 कंपनियों को चार्जशीट में नामजद किया गया है। पुलिस ने अभी तक गर्वित इनोवेटर्स के नाम पर एक रेंज रोवर, पंजीकृत वाहनों और एक फॉर्च्यूनर को जब्त कर लिया है। साथ ही 216 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति भी जब्त की गई है। बाइक बॉट योजना में ग्राहकों को मोटरसाइकिलों में उनके निवेश पर बड़े रिटर्न का वादा किया था। इस योजना के अंतर्गत बाइक को दोपहिया टैक्सी के रूप में इस्तेमाल किया जाना था।

निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए किया था समझौता

अधिकारी ने बताया कि निवेशकों को एक बाइक के लिए 62,100 रुपए जमा करने को कहा गया। उसके बाद कंपनी ने प्रति माह 5175 रुपए की ईएमआई की पेशकश की। साथ ही हर महीने का 4590 रुपए प्रति बाइक का किराया तय किया। इसके अलावा इस योजना में प्रति बाइक पांच फीसदी मासिक किराए की आय बोनस भी शामिल था। इतना ही नहीं कंपनी ने निवेशकों का विश्वास हासिल करने के लिए उनके साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। जिसमें यह आश्वासन दिया गया कि उनका पैसा सुरक्षित है। साथ ही निवेशकों को बेहतर और सेफ रिटर्न का भरोसा दिलाया गया।

दीप्ति के पति संजय भाटी ने किया था सरेंडर

इस मामले में सीबीआई नोएडा के अधिकारियों की भूमिका भी जांच कर रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि बाइक बॉट घोटाले को लेकर तथ्य यह है कि घोटाले की शिकायत पहले दर्ज की गई थी। कंपनी की धोखाधड़ी गतिविधि पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ नोएडा जिला प्राधिकरण को भी थी। मगर इन मामलों की जानकारी के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। सीबीआई की एफआईआर में दावा किया गया है कि एसएसपी और एसपी अपराध शाखा ने निवेशकों पर दबाव डाला और शिकायतकर्ताओं को अपनी शिकायतें वापस लेने के लिए कहा गया था। मगर मामले के तूल पकड़ते ही प्रमोटर गर्वित इनोवेटिव प्रमोटर्स लिमिटेड, संजय भाटी और अन्य के खिलाफ दादरी पुलिस स्टेशन में दर्ज विभिन्न केस के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने जांच शुरू कर दी। साल 2019 में सूरजुपर की एक स्थानीय कोर्ट के सामने संजय भाटी ने सरेंडर कर दिया था।

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