महाकुंभ में छाए पान वाले बाबा, जानिए इनके पान का अनोखा रहस्य!

Published : Jan 17, 2025, 02:03 PM IST
pan wale baba

सार

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में पान वाले बाबा चर्चा का विषय बने हुए हैं। आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर पान का बीड़ा प्रसाद के रूप में बांटते हुए, बाबा गिरधारी दास सनातन संस्कृति और प्राकृतिक जीवनशैली का संदेश दे रहे हैं।

प्रयागराज महाकुंभ 2025: महाकुंभ 2025 में एक ऐसा नाम उभरकर सामने आया है, जिसने श्रद्धालुओं के दिलों में अपनी अलग जगह बना ली है-पान वाले बाबा। जहां कुंभ नगरी में साधु-संतों की विविधता है, वहीं पान वाले बाबा ने अपनी अनोखी परंपरा और जीवनदायिनी सोच से सबको आकर्षित कर लिया है। उनके द्वारा प्रसाद के रूप में दिया जाने वाला पान का बीड़ा केवल स्वाद का विषय नहीं, बल्कि आयुर्वेदिक उपचार और सनातन संस्कृति का प्रतीक बन चुका है।

पान के बीड़े में छुपा है आयुर्वेद का रहस्य

पान वाले बाबा, जिनका असली नाम गिरधारी दास महाराज है, राजस्थान के अलवर जिले से आए हैं। वे अपने गुरु बिहारी दास महाराज के शिष्य हैं और महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को पान का बीड़ा बनाकर अपने हाथों से खिलाते हैं। बाबा का कहना है, "पान केवल एक स्वादिष्ट पत्ता नहीं, बल्कि 13 प्रकार के रोगों का निवारण है। इसमें ऐसे औषधीय गुण होते हैं, जो शरीर को स्वस्थ और मन को प्रसन्न बनाए रखते हैं।"

बाबा ने यह भी बताया कि उनके आश्रम में पांच पवित्र पेड़ लगे हुए हैं और उन्होंने 50 से अधिक आश्रमों की स्थापना की है। उनका दावा है कि "इमली खाने से 32 रोग, आम खाने से 12 रोग, और पान खाने से 13 रोगों से बचा जा सकता है।"

सनातन संस्कृति की रक्षा का संदेश

पान वाले बाबा केवल आयुर्वेद के ही नहीं, बल्कि सनातन धर्म के प्रचारक भी हैं। बाबा ने कहा, "आधुनिक चिकित्सा प्रणाली तमोगुणी हो गई है और इससे कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं। सनातन धर्म और आयुर्वेद को अपनाने से ही इन समस्याओं का समाधान हो सकता है।"

उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपने घरों और गांवों में 10 वनस्पतियों के पेड़ लगाएं। उनका मानना है कि इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों का लाभ होगा। बाबा ने कहा, "प्राकृतिक जीवनशैली ही सच्चा जीवन है, और हमें अपनी संस्कृति की जड़ों को मजबूत करना होगा।"

पान की अद्भुत उपयोगिता

बाबा ने पान की सामग्री, जैसे सुपारी, कत्था, और चूना, के औषधीय महत्व पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बनारस और बंगाल के पान की विशिष्टता का उल्लेख करते हुए कहा, "पान का सेवन न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह शरीर में ऊर्जा बनाए रखने और रोगों से बचाने का अद्भुत साधन है।"

74 वर्ष की उम्र में भी ऊर्जा और उत्साह से भरे बाबा गिरधारी दास अपने स्वस्थ जीवन का श्रेय पान और आयुर्वेदिक परंपराओं को देते हैं। उन्होंने कहा, "पान का हर बीड़ा एक आयुर्वेदिक दवा है, जो तन और मन को स्वस्थ रखता है।"

महाकुंभ में श्रद्धालुओं को अनोखा अनुभव

महाकुंभ में बाबा गिरधारी दास का आश्रम श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बन गया है। यहां लोग न केवल बाबा के दर्शन कर रहे हैं, बल्कि उनके संदेशों और पान प्रसाद का आनंद भी ले रहे हैं। बाबा के अनुसार, "आधुनिकता के चक्रव्यूह में फंसी मानवता को आयुर्वेद और सनातन संस्कृति की ओर लौटना ही होगा।"

भविष्य के लिए प्रेरणा

पान वाले बाबा ने अपने भक्तों को प्रेरित किया कि वे आयुर्वेद को अपनाएं और सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में योगदान दें। उन्होंने कहा, "प्राकृतिक जीवनशैली अपनाने से ही रोगों का निवारण और जीवन का उत्थान संभव है।" महाकुंभ 2025 में पान वाले बाबा की इस अनोखी परंपरा ने श्रद्धालुओं को न केवल पान की महत्ता समझाई है, बल्कि आयुर्वेद और सनातन धर्म के प्रति उनकी आस्था को भी मजबूत किया है।

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