अगस्त, 2020 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव रखी थी, तब से मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। कोरोना काल में कुछ अड़चनें आईं, बावजूद उम्मीद है कि दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा।
अयोध्या. अगस्त, 2020 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर की नींव रखी थी, तब से मंदिर का निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है। कोरोना काल में कुछ अड़चनें आईं, इसके बावजूद राम मंदिर कंस्ट्रक्शन कमेटी को पूरा भरोसा है कि दिसंबर, 2023 तक गर्भगृह बनकर तैयार हो जाएगा और जनवरी, 2024 से श्रद्धालु रामलला के दर्शन कर सकेंगे। मंदिर की नींव रखने से लेकर अब तक इसका निर्माण कहां तक पहुंचा, इसको लेकर एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने राम मंदिर निर्माण समिति के चेयरमैन नृपेन्द्र मिश्रा से बातचीत की। जानते हैं बातचीत के प्रमुख अंश...
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में क्या 3 सबसे बड़ी चुनौतियां आईं?
1. मंदिर की नींव बनाना, पहला मील का पत्थर
नृपेन्द्र मिश्रा के मुताबिक, मंदिर निर्माण के अलग-अलग चरण हैं, जिन्हें हम पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। अक्टूबर 2022 में हम रॉफ्ट और प्लिंथ पर काम कर रहे थे। तो इन दोनों पर काम करना ही हमारे लिए पहला मील का पत्थर था। मंदिर की नींव 12 मीटर गहरी है और उसके ऊपर 2 मीटर रॉफ्ट हैं। इसके बाद ग्रेनाइट के प्लिंथ की ऊंचाई लगभग 2.5 मीटर है। इस तरह मंदिर की नींव पूरी हुई है, जो अपने आप में एक मील का पत्थर है।
2. नींव के बाद ढांचा तैयार करना, दूसरा मील का पत्थर
नींव पूरी होने के बाद हमारे लिए दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बड़े-बड़े पत्थरों को रखने की थी, क्योंकि इन पत्थरों का पूरा वजन नींव पर आना है। इसके लिए सेफ्टी के साथ ही वैज्ञानिक परीक्षण की भी जरूरत थी। इसके लिए सबसे पहले लोड फैक्टर चेक कराना जरूरी था। लोड फैक्टर चेक करने के लिए IIT चेन्नई और सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टिट्यूशन रुड़की के वैज्ञानिकों की मदद ली गई। वैज्ञानिकों ने लोड फैक्टर के साथ ही भूकंप लेवल की भी जांच की। वो सभी तरह की आपदाएं जो मंदिर के स्ट्रक्चर को चुनौती दे सकती थीं, उन्हें बड़ी बारीकी के साथ लैब में टेस्ट किया गया। इसके बाद ही हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पत्थर लगाने के लिए जरूरी पैरामीटर्स क्या हैं? मसलन, दबाव को झेलने के लिए पत्थर के आर्म्स को कितनी ताकत देनी चाहिए। इसके अलावा इसे और ज्यादा लचीला कैसे बनाया जाए, ताकि यह बड़े झटकों को भी आराम से झेल सके। तो इस तरह मंदिर निर्माण के लिए ये सब करना हमारे लिए दूसरा मील का पत्थर था।
3. पिलर्स की आइकोनोग्राफी, तीसरा मील का पत्थर
हमारे लिए तीसरी सबसे बड़ी चुनौती पिलर्स और उनकी आइकोनोग्राफी थी। राम मंदिर के लिए लगभग 350 पिलर्स (स्तंभ) की प्लानिंग है। इनमें से 170 खंभे भूतल (ग्राउंड फ्लोर) पर हैं। हर एक खंभे पर 25 से 30 आकृतियां हैं और ये सभी नागर शैली और अवध के मंदिर के अनुसार ही पहले से तय हैं। उदाहरण के लिए अगर किसी स्तंभ में आप देवांगना दिखाते हैं तो देवांगना के अलग-अलग मूड क्या हैं, उन्हें भी स्तंभों पर दिखाना होगा। मतलब आप कल्पना कर सकते हैं कि कैसे ये काम हमारे लिए तीसरा मील का पत्थर है।
कब होगा राममंदिर का उद्घाटन?
माना जा रहा है कि राम मंदिर के भव्य उद्घाटन के लिए शुभ तारीख 22 जनवरी, 2024 तय कर दी गई है। प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल होंगे। इस बीच श्रीरामजन्मभूमि की सिक्योरिटी के लिए विशेष सुरक्षा बल(SSF) की तीन कंपनियां अयोध्या पहुंच चुकी हैं। इनमें 280 जवान शामिल हैं। तीन टुकड़ियां और मिलेंगी।
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