राम मंदिर की ध्वजा में आखिर क्यों जोड़े गए सूर्य, ॐ और कोविदार? कारण जानकर हैरान रह जाएंगे

Published : Nov 25, 2025, 10:45 AM IST
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सार

अयोध्या राम मंदिर में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 191 फीट ऊंची धर्म ध्वजा फहराएंगे। विशेष ध्वजा पर सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष अंकित हैं। जानें कोविदार वृक्ष का धार्मिक इतिहास, अयोध्या की प्राचीन परंपरा और ध्वजारोहण का महत्व।

अयोध्या : रामनगरी आज एक ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनेगी। श्रीरामजन्मभूमि मंदिर के शिखर पर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 191 फीट ऊंची धर्म ध्वजा फहराई जाएगी। केसरिया रंग की यह विशेष धर्म ध्वजा अपने आप में अनोखी है, क्योंकि इसमें एक साथ तीन पवित्र प्रतीक अंकित हैं, ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष। यह ध्वजारोहण सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि अयोध्या की हजारों वर्ष पुरानी आध्यात्मिक परंपरा का पुनर्जीवन भी है।

धर्म ध्वजा पर अंकित तीन पवित्र प्रतीक: क्या है महत्व?

ध्वजा पर सूर्य, ॐ और कोविदार वृक्ष का संयोजन राम मंदिर की दिव्य पहचान को और अधिक सशक्त बनाता है।

  • सूर्य भगवान राम के सूर्यवंशी वंश का प्रतीक है।
  • ॐ ब्रह्मांड की आद्य ध्वनि और दिव्य ऊर्जा का प्रतिनिधि माना जाता है।
  • कोविदार वृक्ष अयोध्या के प्राचीन राजचिन्ह और राजसत्ता का प्रतीक है, जिसकी धार्मिक परंपरा त्रेतायुग से चली आ रही है।

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कोविदार वृक्ष : अयोध्या का प्राचीन राजचिन्ह

त्रेतायुग में अयोध्या की सेना और राजपरंपरा का प्रमुख चिन्ह कोविदार वृक्ष ही था। धर्मग्रंथों के अनुसार भरत की सेना के ध्वज पर भी यही वृक्ष अंकित था, जिसे लक्ष्मण ने दूर से देखकर पहचान लिया था। यह वृक्ष धर्म, पराक्रम और सत्ता की विजय का प्रतीक माना जाता था। आज राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर कोविदार के शामिल होने से अयोध्या की वही प्राचीन गौरवगाथा फिर से जीवंत हो रही है।

रामायण और पुराणों में मिलता है विस्तृत वर्णन

कोविदार वृक्ष का उल्लेख रामायण, स्कंद पुराण और पद्म पुराण सहित कई ग्रंथों में मिलता है। इसे देवताओं का प्रिय माना गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह वही वृक्ष है जिसे ऋषि कश्यप ने पारिजात और मंदार को मिलाकर बनाया था, इसलिए इसे प्राचीन काल का पहला "हाइब्रिड वृक्ष" भी कहा जाता है। इसके बैंगनी फूल और सुगंध इसे अत्यंत शुभ बनाते हैं।

आयुर्वेद में कोविदार का विशेष स्थान

आयुर्वेद में कोविदार वृक्ष के फूल, पत्तियों और छाल का उपयोग कई रोगों के उपचार में किया जाता है। यह वृक्ष सकारात्मक ऊर्जा, पवित्रता और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। इसकी दिव्यता और औषधीय महत्ता ही इसे राम मंदिर की धर्म ध्वजा पर विशेष स्थान दिलाती है।

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