71 साल की उम्र में मुनव्वर राना (Munawwar Rana) का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती थे। वह पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे।
लखनऊ। मशहूर उर्दू शायर मुनव्वर राना (Munawwar Rana) अब हमारे बीच नहीं रहे। रविवार को दिल का दौरा पड़ने से 71 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उन्होंने लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में अंतिम सांसें लीं। वह पिछले कई महीनों से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे।
मुनव्वर राना का इलाज पीजीआई अस्पताल में चल रहा था। वह किडनी और हृदय संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। मुनव्वर राणा की बेटी सुमैया ने बताया है कि उनके पिता का रविवार रात अस्पताल में निधन हो गया। सोमवार को अंतिम संस्कार किया जाएगा। वह 14-15 दिन से बीमारी के चलते अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें पहले लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद SGPGI ले जाया गया। रविवार रात करीब 11 बजे उनकी मौत हुई। उनके परिवार में पत्नी, चार बेटी और एक बेटा हैं।
पीएम नरेंद्र मोदी ने मुनव्वर राणा के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "मुनव्वर राणा जी के निधन से दुख हुआ। उन्होंने उर्दू साहित्य और कविता में समृद्ध योगदान दिया। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं। उसकी आत्मा को शांति मिले।"
उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था मुनव्वर राना का जन्म
मुनव्वर राना का जन्म 26 नवंबर 1952 को उत्तर प्रदेश के रायबरेली में हुआ था। उन्हें उर्दू साहित्य और कविता में योगदान, विशेषकर गजलों के लिए व्यापक रूप से पहचाना गया। उनकी काव्य शैली अपनी सरलता के लिए जानी जाती थी। वे फारसी और अरबी से परहेज करते हुए अक्सर हिंदी और अवधी शब्दों को शामिल करते थे। इससे उनकी कविता आम लोगों को अधिक पसंद आती थी। उनकी सबसे प्रसिद्ध कविता 'माँ' थी। इसमें पारंपरिक गजल शैली में मां के गुणों को बताया गया था।
मुनव्वर राना को 2014 में प्रतिष्ठित साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था। इसे उन्होंने देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता के कारण एक साल बाद लौटा दिया था। इसके अलावा उन्हें अमीर खुसरो पुरस्कार, मीर तकी मीर पुरस्कार, गालिब पुरस्कार, डॉ. जाकिर हुसैन पुरस्कार और सरस्वती समाज पुरस्कार भी मिले थे। मुनव्वर राना उत्तर प्रदेश के राजनीतिक घटनाक्रम में भी सक्रिय थे। उनकी बेटी सुमैया अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी पार्टी की सदस्य हैं।