
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों की सुविधाओं और उनकी तरक्की को सबसे बड़ी प्राथमिकता देते हैं। वह समय-समय पर कृषि योजनाओं और कार्यों की समीक्षा करते रहते हैं। इसी का परिणाम है कि आज उत्तर प्रदेश का किसान पहले की तुलना में अधिक समृद्ध हो रहा है। यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के मिशन में मुख्यमंत्री ने किसानों को भी जोड़ने का काम किया है। उनके निर्देश पर डिजिटल कृषि नीति पर तेजी से काम किया जा रहा है।
किसान किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं। वे न सिर्फ देश का पेट भरते हैं, बल्कि आर्थिक विकास में बड़ा योगदान देते हैं। डिजिटल युग में किसान पीछे न रह जाएं, इसके लिए डिजिटल एग्रीकल्चर इकोसिस्टम के विकास की एक विस्तृत योजना लागू की जा रही है।
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को खेती से जुड़े सभी जरूरी डेटा को एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध करा रही है। किसान अब बीज, उर्वरक, मौसम, सिंचाई, बीमा, बाजार, लॉजिस्टिक्स और फसल से जुड़ी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
डिजिटल कृषि नीति को अंतरराष्ट्रीय तकनीक से जोड़ा गया है। ई-मार्केट लिंकिंग, वेयरहाउसिंग, प्रोसेसिंग और एक्सपोर्ट आधारित नीतियां ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भर रही हैं। योगी सरकार ने डिजिटल कृषि के विकास के लिए 4000 करोड़ की परियोजना को तेजी से लागू करने के निर्देश दिए हैं।
पहले उत्तर प्रदेश की कृषि मंडियां पुराने ढर्रे पर चलती थीं और उनमें तकनीक का उपयोग नहीं होता था। इस कारण किसानों और खरीदारों के बीच पारदर्शिता की कमी रहती थी और बिचौलिये ज्यादातर लाभ ले जाते थे। योगी सरकार की नीतियों की वजह से अब मंडियों का डिजिटलीकरण किया जा चुका है। इससे किसानों को फसल, मौसम और बाजार की सटीक जानकारी मिल रही है। इस पारदर्शिता के कारण किसानों की आय में वृद्धि हो रही है।
2017 से पहले ग्रामीण इलाकों में किसानों के लिए कोल्ड स्टोरेज तक पहुंच मुश्किल थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरकार में आते ही कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस के विस्तार पर जोर दिया। आज देश की कुल स्टोरेज क्षमता में से करीब 40% कोल्ड स्टोरेज यूपी में हैं। प्रदेश में लगभग 2500 कोल्ड स्टोर हैं, जिनकी कुल भंडारण क्षमता 1.55 करोड़ मीट्रिक टन तक है। सरकार कोल्ड स्टोरेज के आधुनिकीकरण को किसानों की आय से जोड़ रही है और पीपीपी मॉडल के तहत बड़ी संख्या में नए कोल्ड स्टोरेज का निर्माण हो रहा है।
यूपी में कृषि प्रसंस्करण क्षेत्र नई संभावनाओं के रूप में उभर रहा है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है। अब खेतों का उत्पादन सीधे विदेशों तक पहुंच रहा है। छोटे गांवों में एग्रो प्रोसेस यूनिट, फूड पार्क और ODOP आधारित कृषि उत्पादों के विकास पर भी जोर है। खाद्य प्रसंस्करण विभाग के अनुसार प्रदेश में लगभग 75,000 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित हैं। खाद्य प्रसंस्करण नीति के तहत 428 नई इकाइयां लगाई जा चुकी हैं।
सरकार का लक्ष्य है कि हर जिले में कम से कम 1000 प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित की जाएं। विभाग की योजना है कि हर गांव में कम से कम एक यूनिट स्थापित की जाए। इससे किसानों को उनकी फसल का सही दाम मिलेगा और ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा।
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