
लखनऊ: माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या मामले में योगी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। सरकार ने कैविएट याचिका दाखिल की है। इसमें योगी सरकार के द्वारा कहा गया है कि बिना हमारा पक्ष सुने कोई भी आदेश पारित न किया जाए। सरकार की ओर से यह कैविएट याचिका अतीक-अशरफ हत्या मामले में न्यायिक जांच को लेकर दाखिल की गई याचिका के बाद दाखिल की गई। इस मामले में 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है।
तमाम एनकाउंटर की जांच को लेकर की गई थी अपील
गौरतलब है कि अतीक-अशरफ हत्या मामले में न्यायिक जांच को लेकर वकील विशाल तिवारी की ओर से दाखिल की गई थी। इस याचिका में उनके द्वारा अतीक और अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या की जांच सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड जज से करवाने की मांग की गई। इसी के साथ ही याचिका में योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी से कराने की मांग की गई। इस याचिका को लेकर 28 मई को सुनवाई होनी है। सुनवाई जस्टिस ए. रविंद्र भट्ट और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के द्वारा की जानी है।
पुलिस कस्टडी में हुई थी अतीक और अशरफ की हत्या
ज्ञात हो कि 15 अप्रैल की रात को माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या उस दौरान की गई थी जब वह पुलिस कस्टडी में अस्पताल पहुंचा था। इस दौरान पुलिस ने माफिया ब्रदर्स के तीनों हत्यारों को गिरफ्तार कर लिया था। लगातार पड़ताल जारी है और हत्यारे कई खुलासे भी कर रहे हैं। उनके द्वारा बताया गया कि फेमस होने के लिए उन्होंने इस वारदात को अंजाम दिया था। हालांकि इसी बीच विशाल तिवारी के द्वारा याचिका दाखिल की गई थी। आपको बता दें कि पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर के द्वारा भी सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन दाखिल की गई है कि अतीक और अशरफ की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई जांच हो। अमिताभ ठाकुर की ओर से कहा गया कि भले ही अतीक और उसका भाई अपराधी था लेकिन जिस तरह से उनकी हत्या हुई, इस घटना के राज्य पोषित होने की पर्याप्त संभावना दिखती है।
क्या है कैविएट
कैविएट का अर्थ किसी व्यक्ति को सावधान करने से है। सिविल मामलों में कुछ परिस्थितियां ऐसे होती हैं जहां पर वादी किसी मुकदमे को लेकर न्यायालय जाता है। उस मामले में प्रतिवादी को समन जारी कर दिया जाता है। समन की तामील बता दी जाती है और पक्षकार के हाजिर न होने पर एकपक्षीय फैसला सुना दिया जाता है। कैविएट इस परिस्थिति से निपटने की व्यवस्था है। कानून में यह सिद्धांत है कि सभी पक्षकारों को सुना जाए और सभी पक्षकारों से बराबर के सबूत लिए जाएं, उसके बाद ही अपना फैसला सुनाया जाए।
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