
लखनऊ। उत्तर प्रदेश आज देश और दुनिया के निवेशकों के लिए सबसे पसंदीदा राज्यों में शामिल हो गया है। निवेश-अनुकूल नीतियाँ, पारदर्शी प्रोत्साहन व्यवस्था, मजबूत कानून-व्यवस्था और उद्योगों के लिए सुरक्षित माहौल ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है। पिछले आठ वर्षों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक प्रभावी औद्योगिक इकोसिस्टम तैयार हुआ है, जिसने ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को नई ऊँचाइयाँ दी हैं। निवेश मित्र पोर्टल जैसे सिंगल विंडो सिस्टम ने निवेश सम्बंधी अनुमोदनों को और सरल, पारदर्शी और तेज़ बनाया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन के अनुसार उत्तर प्रदेश 1 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। राज्य सरकार ने 33 से अधिक सेक्टर-विशिष्ट नीतियाँ लागू की हैं, जो विभिन्न उद्योगों की जरूरतों को देखते हुए बनाई गई हैं।
मुख्य नीतियाँ शामिल हैं:
इन नीतियों ने यूपी को वैश्विक निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद और संभावनाओं से भरपूर गंतव्य बनाया है। निवेश उपरांत प्रोत्साहनों को तेज़ और आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण किया गया है।
निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए एक उच्च-स्तरीय अधिकार प्राप्त समिति (HLEC) हर माह औसतन 10 लेटर ऑफ कम्फर्ट (LOC) जारी कर रही है।
केवल वर्ष 2025 में:
ये आँकड़े अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाते हैं।
नीतिगत सुधारों और पारदर्शिता के चलते निवेश न केवल आ रहा है, बल्कि तेजी से जमीन पर उतर भी रहा है। सरकार आगामी GBC-5 (भूमि पूजन समारोह) में 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक निवेश को मूर्त रूप देने की तैयारी कर रही है।
2018 से अब तक:
इसी वजह से पिछले आठ वर्षों में सैमसंग, वीवो, डिक्सन, एसीसी, जेके सीमेंट, डालमिया सीमेंट, अदानी पावर, टाटा पावर, Azure, SLMG, वरुण बेवरेजेज, ST Telemedia, Microsoft, Adobe जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश किया और हजारों रोजगार उत्पन्न हुए।
बड़े निवेशों के साथ-साथ स्टार्टअप इकोसिस्टम भी मजबूत हो रहा है। उत्तर प्रदेश में आज 18,127 स्टार्टअप सक्रिय हैं, जिनमें 7,800 से अधिक महिला-प्रधान हैं। योगी सरकार छोटे शहरों के उद्यमियों को भी आर्थिक सहायता दे रही है, जिससे नए विचारों को गति मिल रही है।
झांसी के प्रवीन वर्मा द्वारा स्थापित इस स्टार्टअप को सरकार से ₹11 लाख का फंड स्वीकृत हुआ है, जिसमें से ₹4.5 लाख जारी किए जा चुके हैं। प्रवीन पिछले 10 वर्षों से मशरूम की खेती कर रहे हैं और नाबार्ड की सहायता से एक फार्म संचालित करते हैं। उनका स्टार्टअप मशरूम आधारित मूल्य-वर्धित उत्पाद जैसे- ड्राई मशरूम, बिस्किट, चॉकलेट, लड्डू, अचार बनाता है, जिनकी बाजार में अच्छी मांग है। यह कृषि-आधारित उद्यमिता को बढ़ावा देने का उत्कृष्ट उदाहरण है।
जालौन की वैशाली कुशवाहा द्वारा स्थापित इस स्टार्टअप को ₹3.14 लाख का फंड स्वीकृत हुआ है, जिसमें से ₹78,000 जारी किए गए। सिहारी लैब्स एक AI-आधारित टूल बना रहा है जो MSMEs को अपने उपभोक्ताओं की शिकायतें और जरूरतें बेहतर ढंग से समझने में मदद करेगा। यह टूल:
यह नवाचार 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' और ग्राहक सेवा सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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