
लखनऊ, 9 अक्टूबर। उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि मान्यवर कांशीराम जी की पुण्य तिथि पर अखिलेश यादव द्वारा आयोजित कार्यक्रम केवल नाटकबाजी है।
डॉ. निर्मल ने आरोप लगाया कि अखिलेश यादव वही नेता हैं जिन्होंने सत्ता में आने के बाद आंबेडकर स्मारक को ‘अय्याशी का अड्डा’ कहा था। इस बयान से पूरे प्रदेश के दलित समाज में आक्रोश फैल गया था।
डॉ. निर्मल ने कहा कि सपा सरकार ने मान्यवर कांशीराम जी के नाम पर स्थापित उर्दू, अरबी और फारसी विश्वविद्यालय से उनका नाम हटा दिया। इसी तरह, कानपुर देहात के रमाबाई नगर और भदोही जिले के संत रविदास नगर से भी सम्मानित नामों को हटा दिया गया। उन्होंने बताया कि लखनऊ के अंतरराज्यीय बस अड्डा और गोमती नगर के हरित उद्यान से भी डॉ. भीमराव आंबेडकर का नाम हटाया गया था।
डॉ. निर्मल ने कहा कि सपा सरकार के कार्यकाल में पंवरी कांड में 9 दलितों की हत्या हुई थी, जबकि इटावा में एक दलित युवक को ट्रैक्टर से कुचल दिया गया था। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा ने संसद में आरक्षण बिल फाड़ा और दलितों के अधिकारों के खिलाफ कई फैसले लिए।
डॉ. निर्मल के अनुसार, अखिलेश यादव और उनके सहयोगियों ने बाबा साहब आंबेडकर, कांशीराम, और संत रविदास के प्रति हमेशा नकारात्मक रवैया अपनाया। उन्होंने कहा, 'आज वे संविधान की किताबें लेकर घूम रहे हैं, लेकिन उनके अतीत के दलित विरोधी कार्यों को जनता नहीं भूली है।'
डॉ. निर्मल ने कहा कि अखिलेश यादव चाहे जितनी नाक रगड़ लें, लेकिन अब सत्ता में लौटना मुश्किल है। उन्होंने आरोप लगाया कि जब आजम खान ने गाजियाबाद में हज हाउस के उद्घाटन के दौरान डॉ. आंबेडकर को भूमाफिया कहा, तब भी अखिलेश मौन रहे और तालियां बजाईं।
डॉ. निर्मल ने कहा, “आज अखिलेश यादव आजम खान की देहरी पर नाक रगड़ रहे हैं, लेकिन चाहे जितना प्रयास करें, जनता अब उन्हें सत्ता में वापस नहीं लाएगी।”
अपने बयान में डॉ. लालजी निर्मल ने साफ कहा कि समाजवादी पार्टी का चरित्र दलित विरोधी रहा है। उन्होंने कहा कि सपा की नीतियाँ हमेशा हाशिये पर रहे समाजों के खिलाफ रही हैं, और अब जनता ऐसे नेताओं को सत्ता से दूर रखने का मन बना चुकी है।
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