यूपी विधानसभा का बजट सत्र कई मायनों ने ऐतिहासिक रहा। सदन की 11 दिनों तक चली कार्यवाही के दौरान महज 36 मिनट के लिए स्थगन हुआ। इसी के साथ राज्यपाल के अभिभाषण पर तकरीबन 250 सदस्यों ने भागीदारी की।
लखनऊ: विधानमंडल का बजट सत्र काफी मायनों में ऐतिहासिक रहा। सत्र की 11 दिनों तक चली कार्यवाही में मात्र 36 मिनट का स्थगन हुआ। इस महत्वपूर्ण बात ने सत्र के संसदीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण पृष्ठ जोड़ने का काम किया है। इसी के साथ बजट और राज्यपाल के अभिभाषण पर सदन में तकरीबन 250 सदस्यों की भागीदारी ने भी इसे ऐतिहासिक बनाया।
6 पुलिसकर्मियों को मिली एक दिन कारावास की सजा
बजट सत्र के दौरान ही 2004 में भाजपा के तत्कालीन विधायक सलिल विश्नोई से मारपीट के मामले में छह पुलिसकर्मियों को विधानसभा में एक दिन के कारावास की सजा भी मिली। यह कार्यपालिका के लिए भी नजीर है। सबसे कम स्थगन, अधिकारियो-पुलिसकर्मियों को सजा और ज्यादा विधायकों को बोलने का माौका देने के साथ ही इस बार सदन देर रात तक भी चलाया। इस बार पुरानी परंपरा को तोड़ने का भी काम किया गया। आमतौर पर विधायकों की सामूहिक फोटो विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने के अंतिम दिन होती है। इस बार परंपरा को तोड़ते हुए बजट सत्र के बाद भी ग्रुप फोटोग्राफी की गई। बताया गया कि सदन की कार्यवाही 83 घण्टा 38 मिनट तक चली।
तत्कालीन मुद्दों को लेकर विपक्ष ने जमकर साधा निशाना
बजट सत्र के दौरान यूपी विधानसभा में विपक्ष की ओर से तत्कालीन मुद्दों को लेकर जमकर हंगामा भी देखने को मिला। यूपी में का बा गाने के बाद नेहा राठौर को भेजी गई नोटिस का मामला हो, कानपुर में मां-बेटी की जलकर हुई मौत या फिर प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या, इन तमाम मुद्दों को विपक्ष ने विधानसभा में उठाया। जानकार बताते हैं कि पूर्व की अपेक्षा इस बार विधानसभा में अपेक्षाकृत हंगामा भी कम देखने को मिला। वहीं सत्ता पक्ष के द्वारा भी विपक्ष के सवालों का पलटवार किया गया। उमेश पाल हत्याकांड को लेकर जब विपक्ष ने सरकार को घेरा तो सरकार की ओर से दिए गए जवाब में खुद सपा ही फंसती हुई नजर आई। पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने तर्क भी दिया कि उन्होंने अतीक को कोई संरक्षण नहीं दिया लेकिन उनकी इस बात को लोगों ने सिरे से नकार दिया। वह सीएम के उन सवालों का जवाब भी नहीं दे पाए कि अतीक को विधायक और सांसद किस पार्टी के टिकट पर बनाया गया।