
लखनऊ, 14 सितंबर: क्या उत्तर प्रदेश आने वाले वर्षों में भारत की सबसे बड़ी आर्थिक ताकत बन सकता है? मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है- हाँ। यही वजह है कि यूपी सरकार ने ‘विकसित उत्तर प्रदेश-समर्थ उत्तर प्रदेश @2047’ विज़न को सामने रखते हुए प्रदेश को 2047 तक 6 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया है।
सरकार की रणनीति का फोकस एआई, बायोटेक, ग्रीन एनर्जी और एग्रीटेक आधारित उद्योगों पर है। इन क्षेत्रों के ज़रिए यूपी न केवल ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (जीसीसी) हब बनेगा बल्कि लाखों नई नौकरियों का सृजन भी होगा। विशेषज्ञों के अनुसार, एग्रीटेक और रिन्युएबल एनर्जी सेक्टर रोजगार बढ़ाने और ग्रामीण-शहरी विकास का संतुलन साधने में अहम भूमिका निभाएंगे।
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2017 से पहले यूपी की गिनती पिछड़े और असुरक्षित राज्यों में होती थी। निवेशक पलायन कर रहे थे, पुलिस व्यवस्था कमजोर थी और उद्योग ठहर गए थे। लेकिन योगी सरकार ने कानून-व्यवस्था सुधार, ‘ऑपरेशन कन्विक्शन’, पुलिस आधुनिकीकरण और सुरक्षित निवेश माहौल बनाकर तस्वीर बदल दी।
यूपी में 2023 का ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट इसका प्रमाण है, जहां 45 लाख करोड़ से अधिक निवेश प्रस्ताव मिले और 15 लाख करोड़ ज़मीन पर उतरे। नोएडा और लखनऊ अब जीसीसी हब के रूप में उभर रहे हैं, जहां फॉर्च्यून 500 कंपनियां रिसर्च, डेटा एनालिटिक्स और साइबर सिक्योरिटी जैसी सेवाओं में निवेश कर रही हैं।
इस विज़न के तहत यूपी को लगातार 16% वार्षिक वृद्धि दर बनाए रखनी होगी। इससे प्रति व्यक्ति आय में रिकॉर्ड बढ़ोतरी होगी और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में यूपी का योगदान 20% तक पहुंच सकता है।
जीसीसी और टेक हब से उच्च-वेतन वाली नौकरियां, रिन्युएबल और सप्लाई चेन से मध्यम रोजगार और एग्रीटेक से ग्रामीण नौकरियां बनेंगी। स्किल विकास और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप इस रोडमैप को मज़बूत करेंगे।
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