
लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई शुरू हो चुकी है। जो नाम दशकों से लिस्ट में दर्ज हैं, लेकिन व्यक्ति मौजूद नहीं, जो घर बदल गए पर रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ, या जिनकी डुप्लीकेट एंट्री है, उन सब पर चुनाव आयोग की नज़र तीर की तरह टिक चुकी है। यह वह सफाई अभियान है जो प्रदेश की राजनीति का सारा गणित बदल सकता है।
चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान (Special Intensive Revision – SIR) के दौरान भारी संख्या में अनुपस्थित, स्थानांतरित, मृत और डुप्लीकेट (ASD) वोटर मिले हैं। जिलों से मिली रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में औसतन 20% से अधिक नाम इस श्रेणी में आ रहे हैं। अनुमान है कि अंतिम सूची से 3 करोड़ से अधिक नाम कट सकते हैं।
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फिलहाल यूपी की मतदाता सूची में करीब 15.80 करोड़ नाम हैं। इनमें यदि 20% भी हटते हैं तो 3.16 करोड़ वोटर लिस्ट से बाहर हो जाएंगे। प्रारंभिक सर्वे के अनुसार:
यह कटौती बड़े शहरों में राजनीतिक समीकरण को सीधा प्रभावित करेगी।
अधिकारियों के अनुसार इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
चुनाव आयोग साफ कर चुका है कि केवल वास्तविक, जीवित और स्थानीय वोटर ही सूची में रहेंगे।
जिन लोगों के नाम गलती से हटने की आशंका है, उनके लिए राहत भी है। आयोग ने 18 जनवरी 2026 तक दावा-आपत्ति स्वीकार करने का समय दिया है। 27 जनवरी को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित होगी।
अगर आप भी यूपी के मतदाता हैं, तो तुरंत अपना नाम जांच लें। इसके लिए:
यह अभियान सिर्फ कागज़ से नाम हटाने का नहीं, लोकतंत्र को शुद्ध और सटीक बनाने का प्रयास है। इसलिए सुनिश्चित करें कि आपकी पहचान और आपका वोट सुरक्षित रहे।
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