
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए बीज से लेकर बाजार तक एक मजबूत और एकीकृत मूल्य श्रृंखला तैयार की है। पिछले साढ़े 8 वर्षों में राज्य सरकार ने ऐसे बड़े फैसले लिए हैं, जिनसे अन्नदाताओं की खेती से लेकर बिक्री तक की पूरी प्रक्रिया आसान और सुरक्षित हुई है। सरकार का लक्ष्य आधुनिक, किसान-केंद्रित और स्थायी कृषि मॉडल बनाना है।
डिजिटल युग में किसानों को पीछे न रहने देने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विशेष प्रयास किए हैं। इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश की कृषि विकास दर 2016-17 के 8.6% से बढ़कर 2024-25 में 17.7% हो गई है। राज्य हर वर्ष करीब 400 लाख टन फल और सब्जियों का उत्पादन करता है और इस क्षेत्र में देश में पहले स्थान पर है।
सरकार सिर्फ अनाज उत्पादन पर ही नहीं, बल्कि किसानों के लिए नई आय के साधन भी विकसित कर रही है। मोबाइल ऐप के माध्यम से किसानों को निशुल्क मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जिनमें उनकी मिट्टी की विस्तृत जानकारी दर्ज होती है।
योगी सरकार समय-समय पर एमएसपी की समीक्षा कर किसानों को बेहतर मूल्य सुनिश्चित कर रही है।
यह वृद्धि किसानों की आय को सीधा बढ़ावा दे रही है।
राज्य में UP AGRIS Project शुरू किया गया है, जिसका उद्देश्य पैदावार बढ़ाना, आधुनिक तकनीक अपनाना और कृषि आधारित रोजगार बढ़ाना है। मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना के तहत किसानों को कम ब्याज दर पर कर्ज दिया जा रहा है। किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे को बढ़ाते हुए इस वर्ष 25 लाख नए किसानों को KCC देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके अलावा,
इन योजनाओं से किसानों की लागत कम हुई है और लाभ बढ़ा है।
सरकार प्रतिदिन किसानों को बाजार भाव और मौसम की जानकारी निशुल्क उपलब्ध करा रही है। अब तक 1.45 करोड़ से अधिक फार्मर कार्ड आईडी जारी की जा चुकी हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा सीडलिंग उत्पादन से लगभग 60,000 महिलाओं को रोजगार मिला है।
लखनऊ में 251 करोड़ रुपये की लागत से भारतरत्न स्व. चौधरी चरण सिंह के नाम पर एक सीड पार्क भी विकसित किया जा रहा है।
योगी सरकार ने प्रदेश में 4,000 से अधिक सक्रिय खरीद केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें से 35–40% केंद्र उन क्षेत्रों में खोले गए हैं, जहां लंबे समय से कोई स्थायी खरीद सुविधा नहीं थी। इन प्रयासों से:
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