
योगी सरकार ने आतंरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत घुसपैठियों के खिलाफ व्यापक अभियान शुरू किया है। इस निर्णय से न केवल सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ होगी, बल्कि सरकारी योजनाओं के वितरण में पारदर्शिता भी सुनिश्चित होगी। सरकार का मानना है कि घुसपैठियों की पहचान होने से केवल पात्र लोगों को ही योजनाओं का लाभ मिलेगा, जिससे भ्रष्टाचार और सरकारी धन की बर्बादी दोनों पर अंकुश लगेगा।
सरकार की योजना के अनुसार, पहचाने गए घुसपैठियों को अभेद सुरक्षा वाले डिटेंशन सेंटर में शिफ्ट किया जाएगा। इन केंद्रों की संरचना ऐसी होगी कि किसी भी प्रकार के अवैध गतिविधि या सेंधमारी की गुंजाइश न रहे। यह पहल प्रदेश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगी और अपराधों पर नियंत्रण को और आसान बनाएगी।
अधिकारियों के अनुसार, इस सख्ती का असर अपराधों के ग्राफ पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा। सीमावर्ती जिलों में अवैध गतिविधियों पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई से प्रदेश में कानून-व्यवस्था और अधिक सशक्त होगी।
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योगी सरकार का मानना है कि घुसपैठियों की वजह से कई सरकारी योजनाओं का लाभ अपात्र व्यक्तियों तक पहुंच रहा था। नए अभियान के बाद पात्र व्यक्ति ही योजना का लाभ उठा पाएंगे। इससे सरकारी धन की बर्बादी रुकेगी और योजनाओं की पारदर्शिता बढ़ेगी। साथ ही, स्थानीय युवाओं और कामगारों के लिए रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। सरकार का दावा है कि अब रोजगार में प्रतिस्पर्धा अधिक निष्पक्ष और स्पष्ट होगी, जिससे योग्य युवाओं को अवसर मिलना आसान होगा।
इस अभियान का प्रभाव केवल सुरक्षा या योजनाओं तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि नागरिक सेवाओं पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ेगा। पासपोर्ट सत्यापन, पुलिस क्लीयरेंस, लाइसेंस, शिकायत निस्तारण जैसी सेवाओं का टर्नअराउंड टाइम तेजी से कम होगा।
सरकार का तर्क है कि फर्जी आईडी, धोखाधड़ी और अपराध से जुड़े मामलों में भी बड़ी कमी आएगी। इससे आम नागरिकों को सरकारी सेवाओं का लाभ अधिक प्रभावी, तेज और विश्वसनीय तरीके से मिलेगा।
योगी सरकार का यह कदम प्रदेश में कानून-व्यवस्था को नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। घुसपैठियों पर सख्ती, डिटेंशन सेंटर की स्थापना, नागरिक सेवाओं में सुधार और सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता, इन सभी प्रयासों से सरकार प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा को नए स्तर पर ले जाने की तैयारी में है।
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