
increased electricity bills UP: बिजली की कीमतों से जुड़ा एक नया तूफान उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं पर मंडरा रहा है। पावर कॉर्पोरेशन द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखिल नया संशोधित प्रस्ताव यदि मंजूर हो जाता है, तो आम जनता को बिजली के लिए अपनी जेब और ज्यादा ढीली करनी पड़ेगी। प्रस्ताव में 40-45% तक की दरों में वृद्धि का प्रावधान है, जिससे शहरी और ग्रामीण—दोनों क्षेत्रों के उपभोक्ताओं को झटका लगना तय है।
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने प्रस्ताव पर कड़ा ऐतराज़ जताया है। परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने इसे ‘फिक्स चार्ज में बड़ा खेल’ करार देते हुए नियामक आयोग के सामने लोकमहत्व प्रस्ताव दाखिल किया है। वर्मा ने नियामक आयोग अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय सिंह से मिलकर इसे असंवैधानिक बताया और प्रस्ताव को खारिज करने की मांग की। वर्मा ने बताया कि भाजपा के संकल्प पत्र में गरीबों को 100 यूनिट तक 3 रुपये प्रति यूनिट बिजली देने का वादा किया गया था, जिसे अब 4 रुपयेकर दिया गया है। पहले जहां बिजली के चार स्लैब थे, अब उन्हें तीन कर दिया गया है, और कुछ स्लैब में तो 50% से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
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अवधेश वर्मा ने यह भी कहा कि बिजली कंपनियों पर 33,122 करोड़ रुपये का सरप्लस है, लेकिन उसे उपभोक्ताओं को लौटाने की कोई बात नहीं की जा रही।
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