
शुक्रवार को वाराणसी के कोतवाली थाना परिसर में स्थित महिला थाने में उस समय हड़कंप मच गया जब एंटी करप्शन टीम ने खुद थाना प्रभारी सुमित्रा देवी और उनकी सहयोगी महिला सिपाही अर्चना राय को ₹10,000 की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी विभाग के भीतर फैले भ्रष्टाचार पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।
भदोही जिले के सिविल लाइन जलालपुर निवासी मेराज पुत्र मोहम्मद इस्लाम की शिकायत पर यह कार्रवाई की गई। मेराज ने एंटी करप्शन टीम को बताया कि वाराणसी महिला थाना प्रभारी सुमित्रा देवी ने उससे ₹20,000 की घूस मांगी थी। आरोप है कि यह रिश्वत मेराज का नाम एक दहेज उत्पीड़न मामले से हटाने के एवज में मांगी गई थी।
शिकायतकर्ता मेराज के मुताबिक, उसके छोटे भाई की पत्नी रुखसार ने दहेज उत्पीड़न का मुकदमा परिवार के 13 सदस्यों के खिलाफ दर्ज कराया था और जेल भेजने की धमकी दी थी। इस केस की विवेचना का जिम्मा महिला थाना प्रभारी सुमित्रा देवी को सौंपा गया था। आरोप है कि विवेचना के दौरान उन्होंने मेराज से ₹20,000 की मांग की और ₹10,000 की पहली किस्त महिला थाने बुलाकर ली।
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मेराज की शिकायत पर एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाया और तय समय पर महिला थाना पहुंची। जैसे ही थाना प्रभारी सुमित्रा देवी और सिपाही अर्चना राय ने रिश्वत की रकम स्वीकार की, टीम ने मौके पर ही दोनों को दबोच लिया। इसके बाद दोनों आरोपितों को हिरासत में लेकर कैंट थाना ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
महिला थाना प्रभारी और सिपाही की गिरफ्तारी के बाद पुलिस विभाग में सनसनी फैल गई है। विभागीय अधिकारी इस घटना से सकते में हैं और आंतरिक जांच की तैयारी की जा रही है। यह मामला न केवल अनुशासन पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी उजागर करता है कि भ्रष्टाचार की जड़ें थानों के भीतर तक पहुंच चुकी हैं।
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