क्या है अमृत स्नान, इस दिन क्यों लगाई जाती है डुबकी, जानिए महाकुंभ का रहस्य

Published : Jan 14, 2025, 12:00 PM ISTUpdated : Jan 14, 2025, 12:42 PM IST
Swami Kailashananda Giri

सार

मकर संक्रांति पर महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी ने त्रिवेणी संगम में स्नान किया। एप्पल फाउंडर की पत्नी लॉरेन पावेल 'कमला' भी उनके साथ हैं और सनातन धर्म सीख रही हैं। महाकुंभ को सनातन धर्म का वैश्विक वैभव बताया गया।

महाकुम्भ नगर, 14 जनवरी। निरंजनी अखाड़े से मकर संक्रांति पर सुबह 7 बजे महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी रथ रूपी वाहन पर सवार होकर अपने सैकड़ों शिष्य और शिष्याओं के साथ महासंगम में स्नान करने के लिए निकल पड़े। त्रिवेणी संगम पर अमृत स्नान को लेकर बोले कि "यह अनुभव शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। अमृत स्नान, साधु-संतों की वर्षों की तपस्या, साधना, प्रेम और उनकी गहरी श्रद्धा का प्रतीक है।" उन्होंने कहा कि गंगा का जल अमृत समान है। जब साधु-संत गंगा में डुबकी लगाते हैं और अपने इष्ट महादेव, मां गंगा और सूर्यदेव का पूजन करते हैं, तो उन्हें ऐसा लगता है कि सभी देवता उनके समीप हैं। यह क्षण उनके साधक जीवन का सबसे बड़ा पर्व है।

सनातन धर्म का वैश्विक वैभव

प्रयागराज में आयोजित महाकुम्भ को स्वामी कैलाशानंद गिरी ने सनातन धर्म का सबसे बड़ा वैभव बताया। उन्होंने कहा, "त्रिवेणी संगम पर करोड़ों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि सनातन धर्म का प्रभाव विश्व स्तर पर बढ़ रहा है। महापुरुषों के दर्शन और आशीर्वाद के लिए लोग लालायित हैं।" स्वामी जी ने मीडिया की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि उनके माध्यम से सनातन धर्म का संदेश पूरी दुनिया तक पहुंच रहा है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को सुदूर विश्व तक पहुंचाने और सनातन की आध्यात्मिक शक्ति को उजागर करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।

लॉरेन पावेल हैं सनातन धर्म की जिज्ञासु शिष्या

महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने एप्पल के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पावेल को आध्यात्मिक नाम "कमला" दिया है। वह एक सात्विक, सरल और सहृदय व्यक्तित्व की महिला हैं। लॉरेन वर्तमान में महाकुम्भ में स्वामी जी के शिविर में हैं। सनातन धर्म को गहराई से समझने की इच्छुक हैं। हालांकि, सोमवार को उनका स्वास्थ्य थोड़ा बिगड़ गया था, लेकिन अब वे गंगा स्नान और विश्राम के माध्यम से स्वस्थ हो रही हैं। स्वामी कैलाशानंद ने उनके बारे में कहा, "लॉरेन अहंकार से मुक्त हैं और अपने गुरु के प्रति पूरी तरह समर्पित हैं। उनके सभी सवाल सनातन धर्म से जुड़े हैं और उनके उत्तर से वे अत्यधिक संतुष्ट और आह्लादित होती हैं।" वह सनातन धर्म और अपने गुरु के विषय में और अत्यधिक जानना चाहती हैं।

 

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