ISRO के सबसे भारी रॉकेट से 36 सैटेलाइट लांच:ब्रिटेन के ‘वन वेब’ का टारगेट है 648 सैटेलाइट्स को लांच कराना

43.5 मीटर लंबा यह रॉकेट शनिवार-रविवार को 12.07 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरा। यह सबसे भारी रॉकेट में से एक है जिसके पास 8,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को ले जाने की क्षमता है। भारत के इस सबसे भारी रॉकेट का नाम जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल-मार्क3 यानी GSLV-Mk3 है। 

Dheerendra Gopal | Published : Oct 22, 2022 7:23 PM IST

ISRO launches 36 satellites: इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने स्पेस एजेंसी के सबसे भारी रॉकेट LVM3-M2 पर 36 सैटेलाइट्स लांच  कर दिए हैं। ब्रिटेन के संचार नेटवर्क ‘वन वेब’ के 36 सैटेलाइट्स शनिवार-रविवार की देर रात (12:07 बजे) लॉन्च कर दिए गए। सबसे भारी रॉकेट GSLV-Mk III के जरिए लॉन्च किए गए इन सैटेलाइट्स को लो अर्थ ऑर्बिट में पहुंचाया जा रहा है। इस कमर्शियल लांच के लिए countdown शनिवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्पेस पोर्ट से शुरू हुई थी।

शनिवार-रविवार की देर रात करीब 12.07 बजे हुआ लांच

43.5 मीटर लंबा यह रॉकेट शनिवार-रविवार को 12.07 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर के दूसरे लॉन्च पैड से उड़ान भरा। यह सबसे भारी रॉकेट में से एक है जिसके पास 8,000 किलोग्राम तक के सैटेलाइट को ले जाने की क्षमता है। भारत के इस सबसे भारी रॉकेट का नाम जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल-मार्क3 यानी GSLV-Mk3 है। 

5,796 किलोग्राम के पेलोड के साथ पहला भारतीय रॉकेट बना

यह लॉन्च इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण था क्योंकि LVM3-M2 मिशन इसरो के कमर्शियल आर्म, न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड के लिए पहला डेडीकेटेड कमर्शियल मिशन है। इसरो की मानें तो यह मिशन न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और यूनाइटेड किंगडम स्थित नेटवर्क एक्सेस एसोसिएट्स लिमिटेड (वनवेब लिमिटेड) के बीच कमर्शियल अरेंजमेंट के तौर पर किया जा रहा है। ब्रिटेन के संचार नेटवर्क ‘वन वेब’ का लक्ष्य है कि 648 सैटेलाइट लो अर्थ ऑर्बिट में भेजे जाएं। इनमें से 36 को इसरो ने भेजा है। वन वेब एक ग्लोबल कम्युनिकेशन कंपनी है। इसका मुख्यालय लंदन में है। लो अर्थ ऑर्बिट पृथ्वी की सबसे निचली कक्षा होती है। इसकी ऊंचाई पृथ्वी के चारो ओर 1600 किमी से 2000 किमी के बीच है। इस ऑर्बिट की गति 27 हजार किमी प्रति घंटा होती है। यही वजह है कि 'लो ऑर्बिट' में मौजूद सैटेलाइट तेजी से मूव करता है और इसे टारगेट करना आसान नहीं होता है। यह LVM-3-M2 के लिए भी पहला लॉन्च है जिसमें सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) के बजाय लोअर अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी से 1,200 किलोमीटर ऊपर) तक पहुंचाना है।

अब तक 345 विदेशी सैटेलाइट हो चुके हैं लॉन्च

ISRO अबतक 345 विदेशी सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इन सभी सैटलाइट को पोलर सैटलाइट लॉन्च वीइकल यानी PSLV से अंतरिक्ष में भेजा गया। इस रॉकेट की विश्वसनीयता और किफायती होने की वजह से दुनियाभर में अपनी एक अलग ही साख है। यहां तक कि इसरो के ज्यादातर मिशन में पीएसएलवी का ही इस्तेमाल होता है।

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