भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने डीपफेक कंटेंट को लेकर काफी सख्त है। अगर कोई इस तरह का कंटेंट बनाने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी जैसी धाराओं के तरह कार्रवाई की जाएगी। सेक्शन 66डी के तहत उसे सजा मिल सकती है।
टेक डेस्क : आजकल Deepfake Video बेहद चर्चा में है। हाल ही में रश्मिका मंदाना, कटरीना कैफ और क्रिकेटर शुभमन गिल और सारा तेंदुलकर का वीडियो वायरल होने के बाद डीपफेक कंटेंट पर चर्चा शुरू हुई है। बहुत से लोग इंटरनेट पर सर्च कर रहे हैं कि डीपफेक वीडियो कैसे बनाया जाता है। इसे ध्यान में रखते हुए यहां जानें इस तरह का वीडियो कैसे बनता है, इसे बनाने के बाद क्या हो सकता है और क्या यह लीगल है या नहीं, अगर यह लीगल नहीं है तो कितनी सजा हो सकती है...
डीपफेक वीडियो क्या होता है
डीपफेक वीडियो बनाने के लिए कई तरह के ऐप और वेबसाइट गूगल पर मौजूद हैं। ये सभी तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) पर निर्भर करती है। दो शब्दों से बना डीप फेक में डीप का मतलब गहराई और फेक का मतलब नकली होता है। डीप शब्द डीप लर्निंगसेलिया गया है, जो किसी भी चीज को गहराई से समझने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। डीप लर्निंग को डीपफेक में बदलने के पीछे मकसद किसी कंटेंट को यह समझकर फेक वीडियो बनाया जाए तो बिल्कुल असली की तरह दिखता है।
डीपफेक वीडियो वाली तकनीक कैसे काम करती है
टेक एक्सपर्ट्स का कहना है कि डीपफेक वीडियो बनाने के लिए एआई की जिस टेक्नोलॉजी का यूज होता है, उसमें एक इनकोडर और दूसरा डिकोडर होता है। इनकोडर किसी वीडियो या इमेज की हूबहू नकल कर उसे तैयार कर देता है और डिकोडर को जांच के लिए भेजता है। यह प्रक्रिया तब तक चलती है, जब तक पूरा कंटेंट तैयार न हो जाए। चेन के रूप में चलने वाली इस पूरी प्रक्रिया को जेनरेटिव एडवरसेरियल नेटवर्क (GAN) कहा जाता है। वीडियो तैयार होने के बाद डिकोडर बताया है कि वीडियो पूरी तरह असली दिख रहा है, जिसके बाद उसे वायरल कर दिया जाता है। डीपफेक वीडियो या कंटेंट साल 2017 के बाद से शुरू हो गया है। इसके लिए कुछ इमेज या वीडियो को डीपफेक कंटेंट बनाने वाले ऐप में डाल दिया जाता है और वह बिल्कुल असली कंटेंट तैयार करके दे देता है।
डीपफेक वीडियो बनाने का तरीका
डीफफेक वीडियो बनाने की गलती न करें
भारत सरकार का सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने डीपफेक कंटेंट को लेकर काफी सख्त है। मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि अगर कोई इस तरह का कंटेंट बनाने का दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ धोखाधड़ी जैसी धाराओं के तरह कार्रवाई की जाएगी। सेक्शन 66डी के तहत उसे तीन साल की सजा और एक लाख का जुर्माना लग सकता है।
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