एक फूलदान की कीमत सुन हर कोई दंग, कई गुना ज्यादा लगी बोली-जानिए क्यों है खास

फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक नीले और सफेद रंग का प्रिंटेड तियानक्यूपिंग फूलदान नीलामी के लिए रखा गया था और एक शख्स ने इसकी बोली 90 लाख डॉलर लगाई। चीनी  तियानक्यूपिंग शैली के इस चीनी-मिट्टी के बर्तन फूलदान को उसके अनुमानित कीमत से करीब चार हजार गुना अधिक दाम पर बेचा गया।

Asianet News Hindi | Published : Oct 5, 2022 9:41 AM IST / Updated: Oct 05 2022, 05:34 PM IST

ट्रेंडिंग डेस्क।  फिल्मों में, टीवी सीरियल्स में या फिर वेब सीरीज में आपने अक्सर यह देखा होगा कि नीलामी के दौरान किसी एक वस्तु की बोली को कोई शख्स अचानक आकर उसका दाम कई गुना बढ़ाकर खरीद लेता है। लगभग इसी तरह का वाकया फ्रांस की राजधानी में पेरिस में पिछले दिनों तब पेश आया, जब एक फूलदान को 9 मिलियन डॉलर की कीमत पर बेचा गया। 

मामला पिछले शनिवार को पेरिस में फॉनटेन ब्ल्यू में ओसेनेट की नीलामी संग्रहालय का है। यहां एक नीले और सफेद रंग का प्रिंटेड तियानक्यूपिंग फूलदान नीलामी के लिए रखा गया था और एक शख्स ने इसकी बोली 90 लाख डॉलर लगाई। चीनी  तियानक्यूपिंग शैली के इस चीनी-मिट्टी के बर्तन फूलदान को उसके अनुमानित कीमत से करीब चार हजार गुना अधिक दाम पर बेचा गया। खरीदारों को लगा कि इस फूलदान पर जो कलाकृति बनी है, वह दुर्लभ है, तो इसकी कीमत बढ़ा दी। 

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30 लोगों ने खरीदने के लिए लगाई थी बोली 
नीलामी संग्रहालय के अध्यक्ष जीन पियरे ओसेनेट ने मंगलवार को बताया कि फूलदान के मालिक विदेश में रहते हैं। उन्होंने नीलामीकर्ता को नॉर्थ वेस्ट फ्रांस के ब्रिटनी में अपनी दिवंगत दादी के घर से ली गई वस्तुओं की खेप के हिस्से के रूप में इसे बेचने के लिए कहा था। उन्होंने बताया, यह उनके जीवन को पूरी तरह बदलने वाला है। उनके साथ समझौता करना मुश्किल है। इसमें कुल 30 लोगों ने बोली लगाई थी। 

18वीं सदी की अनमोल धरोहर माना रहा फूलदान 
कुल 30 बोली लगाने वालों में से प्रत्येक को इसमें शामिल होने के लिए जरूरत थी। इसके अलावा, 15 बोली लगाने वाले ऐसे थे, जो फोन पर उपलब्ध थे। नीलामी कंपनी ओसेनेट की वेबसाइट पर इसे नौ भयावह ड्रेगन और बादलों से सजाए गए राउंड शेप बॉडी और लंबी बेलनाकार गर्दन के नीचे नीले सफेद शैली की कलाकृति वाले चीनी मिट्टी के बर्तन और पॉलीक्रोम फूलदान के तौर पर चिन्हित किया गया। वहीं, द गार्जियन के अनुसार, बोली लगाने वाले मुख्य रूप से चीनी थे। उन्हें लगा कि फूलदान 18वीं शताब्दी की कला का एक अनमोल टुकड़ा है। 

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