Bipin Rawat's last words after the plane crash: चश्मदीद सुकुमार ने याद करते हुए कहा, "मैं पास में था। मिनटों में वहां पहुंच गया। हमने हेलिकॉप्टर को जलते देखा। लेकिन किसी को निकालने का कोई रास्ता नहीं था। क्योंकि उसमें आग लगी थी। विस्फोट हो सकता था। हम अंदर फंसे लोगों को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सके।"
नई दिल्ली. तमिलनाडु में सीडीएस जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के प्लेन क्रैश पर एक चश्मदीद (Plane crash eyewitness) सामने आया है। उसने बताया कि हादसा होने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (Chief of Defense Staff) बिपिन रावत जिंदा थे। द न्यूज मिनट्स के एक रिपोर्ट के मुताबिक, (The News Minutes) चश्मदीद ने ये भी बताया कि उनके आखिरी शब्द क्या थे। चश्मदीद का नाम सुकुमार है। उसने 8 दिसंबर को कुन्नूर (Coonoor) पहाड़ियों में जो कुछ देखा उससे हिल गया। दोपहर के 12.00 बजे के कुछ ही समय बाद एक पड़ोसी ने उसे फोन किया कि उनके घर के पास एक दुर्घटना हुई है। जैसे ही वह मौके पर पहुंचे। सुकुमार ने देखा कि उनके घर के बगल में पहाड़ी ढलान में दो पेड़ों के बीच एक जलता हुआ हेलिकॉप्टर फंसा हुआ है।
"बस्ती से चादर, रस्सी और दरांती इकट्ठा करने लगे"
जैसे ही सुकुमार और अन्य लोगों ने पुलिस और दमकल को खबर दी। उन्होंने भी आसपास के इलाके में तलाशी शुरू कर दी। जो लोग हेलिकॉप्टर से गिरे होंगे, उनकी खोज। सुकुमार ने बताया, "जब हम मौके पर पहुंचे तो हमने तीन लोगों को देखा। हम यह पता लगाने के लिए ढलान से नीचे खिसके कि क्या वे जिंदा हैं? दो लोग जिंदा थे। लेकिन हमारे पास उन्हें वापस रोड पर ले जाने के लिए कोई साधन नहीं था। फिर हम पास की बस्ती में वापस चढ़ गए और चादरें, रस्सी और दरांती इकट्ठा करने लगे।"
"एक जिंदा व्यक्ति ने कहा, कुपया थोड़ा पानी दे दें"
जब तक सुकुमार और अन्य स्थानीय लोग ढलान की ओर बढ़ने लगे। लोकल पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। सुकुमार ने कहा, "हमने उन्हें खबर दी थी। दो लोग जिंदा थे। वह हमारे साथ नीचे आए। हमने पहले व्यक्ति को वहां से उठाया। उन्हें एक चादर पर रखा और ढलान पर ले गए। फिर हम अगले व्यक्ति के लिए वापस आ गए। मैंने धीरे से उन्हें आराम करने के लिए कहा और उन्होंने कहा, कृपया थोड़ा पानी।"
"पाने मांगने वाले कोई और नहीं CDS रावत थें"
सेना के एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि पानी मांगने वाला कोई और नहीं बल्कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत थे। सुकुमार कहते हैं, "जब अधिकारी ने मुझे बताया कि यह जनरल रावत हैं, तो मुझे बुरा लगा कि मैं उन्हें पानी भी नहीं दे सकता।" जहां हादसा हुआ, उस प्रॉपर्टी के मालिक कासिम सैत ने कहा कि यह पुष्टि नहीं की जा सकती है कि क्या वह व्यक्ति वास्तव में जनरल रावत थे। हां। ये जरूर है कि शुरू में दो लोगों को जिंदा पाया था।
"हम चाहकर भी उन्हें पानी नहीं दे सकते थें क्योंकि.."
कासिम सैत ने कहा, "जैसे ही हमने दुर्घटना की आवाज सुनी। मैं दो कर्मचारियों के साथ वहां पहुंचा। पुरुषों में से एक ने पानी मांगा। लेकिन हम जानते थे कि हमें उसे पानी नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे मेडिकल दिक्कत पैदा हो सकती है।" सैत को स्थानीय पुलिस अधिकारियों और सेना के अधिकारियों ने भी बताया कि पानी मांगने वाले कोई और नहीं बल्कि रावत थे। सैत कहते हैं कि हेलीकॉप्टर जल रहा था। उनकी प्राथमिकता आग बुझाने के लिए पानी खोजने की थी। हमने पानी के पाइप को तोड़ दिया जो एस्टेट में पानी ले जाता है। सभी निवासी पानी भरने के लिए बर्तन लेकर आए और हमने जो कुछ भी कर सकते थे, किया।
"3 को छोड़कर बाकी सभी जलकर राख हो गए थे"
चश्मदीद मुरली का कहना है कि हेलीकॉप्टर से गिरे तीन लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग जलकर राख हो गए। आग बुझने के बाद भी मलबा गर्म था। हमारे लिए लोगों को बाहर निकालना भी मुश्किल था।
"पहली बार हेलिकॉप्टर को इतना नीचे उड़ते हुए देखा"
सैत ने आश्चर्य जाहिर किया, "मैंने यहां हर समय हेलीकॉप्टरों को उड़ते हुए देखता हूं। लेकिन मैंने कभी किसी हेलिकॉप्टर को इतने नीचे उड़ते नहीं देखा। आम तौर पर वे वेलिंगटन पहुंचने के लिए यू-टर्न लेते हैं। चूंकि मेरा ऑफिस ऊंचाई पर है। इसलिए मैंने उस बड़े बादल को देखा था, जिसमें हेलिकॉप्टर गायब हो गया था। ऐसा लगता है कि यह पेड़ से टकराया और दुर्घटनाग्रस्त हो गया।"
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