अजब स्कूल के गजब टीचर्स: कहीं काला जादू सिखाते तो कहीं वेश्यावृत्ति, पेन-पेंसिल के बजाय पकड़ा देते हैं औजार

Happy Teachers day 2022: मां-बाप अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, जिससे वह पढ़-लिख सकें। अच्छे शिक्षक उन्हें ऐसा ज्ञान दें कि आने वाले समय में जब बच्चे बड़े हों तो अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में चुनौतियों से निपट सकें।

Asianet News Hindi | / Updated: Sep 05 2022, 07:46 AM IST

ट्रेंडिंग डेस्क। Happy Teachers day 2022:  शिक्षा की बात हो और शिक्षकों की चर्चा न हो तो यह पूरी बात अधूरी मानी जाती है। टीचर्स डे यानी शिक्षक दिवस पर गुरुजी लोगों की बात बेहद जरूरी है। हालांकि, अब न तो वैसी शिक्षा पद्धति है और न ही वैसे गुरुजी, क्योंकि पैसे ने इस पेशे पर भी बड़े पैमाने पर असर डाला है। खासकर प्रोफेशनल लेवल की पढ़ाई में इसका असर अधिक देखने को मिला है। 

बहरहाल, आज हम बात करेंगे कुछ ऐसे अजब-गजब स्कूल की, जहां रूटीन पढ़ाई नहीं होती। शिक्षा के इस मंदिर के नियम-कायदे, पढ़ाई-लिखाई, शिक्षा-दीक्षा और शिक्षक-छात्र सब कुछ आपको चौंकाते हैं। ग्रे स्कूल ऑफ विजार्डी इनमें से एक है, जिसे हालीवुड मूवी हैरी पॉटर के किरदार डंबल डोर जैसे दिखने वाले ग्रेल एवनहर्ट ने बनाया है। यह स्कूल 2004 में शुरू हुआ और यहां शिक्षा-दीक्षा ऑनलाइन है। मतलब छात्रों और शिक्षकों को स्कूल आने की जरूरत नहीं। स्कूल में 16 विषयों की पढ़ाई होती है और इसमें काला जादू विषय भी शामिल है। 

टीचर सिखाते हैं बच्चों को वेश्या बनने के गुर 
एक और हैरान करने वाला स्कूल है, जो स्पेन में है और इसे ट्राबाजो या स्कूल नाम से पुकारते हैं। पूरी दुनिया में यह अनोखा ऐसा स्कूल है जहां लड़कियों को वेश्या बनने की शिक्षा दीक्षा दी जाती है। जी हां, यहां ऐसे टीचर हैं, जो छात्राओं को वेश्यावृत्ति के बारे में सिखाते हैं, जिससे वे आगे चलकर इसे रोजगार के तौर पर अपना लें। चौंकाने वाली बात ये भी है कि इस स्कूल को स्पेन सरकार से मान्यता मिली हुई है और मां-बाप अपने बच्चों को यहां पढ़ने के लिए भेजते हैं और मोटी फीस भी चुकाते हैं। 

बच्चों को किताबी नहीं व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है 
वैसे तो स्कूल मतलब जहां पढ़ाई-लिखाई होती है। छात्र कापी-किताब और पेन-पेंसिल लेकर पढ़ने आते हैं। मगर टिंकरिंग नाम का एक स्कूल ऐसा है, जहां बच्चों को ये सब नहीं लाना है। जी हां, आपने सही पढ़ा। दरसअसल, ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों को यहां किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता बल्कि, व्यावहारिक ज्ञान दिया जाता है, जो उन्हें भविष्य में कौशल और रोजगार प्रदान करता है। यहां छह साल से पंद्रह साल तक के बच्चों को शिक्षा दी जाती है कि वे अपनी समस्याएं खुद कैसे सुलझाएं। टीचर्स का मानना है कि बच्चों को डिग्री की नहीं व्यावहारिक ज्ञान की जरूरत है। 

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