यहां भाई-बहन, मां-बेटे और पिता-बेटी के बीच रजामंदी से बनते हैं फिजिकल रिलेशन?

इंडोनेशिया की पोलाही जनजाति दुनियाभर के रिसर्चर्स के लिए एक अबूझ पहेली बनी हुई है। पोलाही में भाई-बहन, मां-बेटोंऔर पिता-बेटियों के साथ भी फिजिकल रिलेशन बनते हैं। इस तरह के रिश्ते से जन्मे बच्चों में मेंटल और फिजिकल डिसऑर्डर का खतरा होता है, लेकिन इनमें ऐसा कुछ नहीं मिला। 

वर्ल्ड न्यूज. इंडोनेशिया के गोरोन्तालो के माउंटेन में गहरे और घने जंगलों में रहने वाली पोलाही जनजाति दुनियाभर के रिसर्चर्स के लिए एक अबूझ पहेली बनी हुई है। पोलाही में भाई-बहन, मां-बेटोंऔर पिता-बेटियों के साथ भी फिजिकल रिलेशन बनते हैं। इस तरह के रिश्ते से जन्मे बच्चों में मेंटल और फिजिकल डिसऑर्डर का खतरा होता है, लेकिन इनमें ऐसा कुछ नहीं मिला। पढ़िए एक दिलचस्प स्टोरी...

कौन है ये पोलाही जनजाति?
इंडोनिशिया के गोरोन्तालो प्रांत(Gorontalo Province) की राजधानी और एक सिटी है गोरोन्तालो। पोलाही जनजाति यही के अंदरुनी जंगलों में निवास करती है। इनमें भाई-बहन, मां-बेटोंऔर पिता-बेटियों के साथ भी फिजिकल रिलेशन बनते हैं। यानी ये लोग इनब्रीडिंग ट्रेडिशन( tradition of inbreeding) को निभाते आ रहे हैं। मतलब ये लोग रक्त-संबंधियों से भी शादी करने को स्वतंत्र होते हैं। इनके बीच यह मैरिज सिस्टम डच औपनिवेशिक काल(Dutch colonial era) से चला आ रहा है। भले ही इसे असामान्य या अजीब भी माना जाता हो, लेकिन यह संस्कृति आज भी मौजूद है और तब तक बनी रह सकती है, जब तक इन लोगों की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आता।

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लंबे समय से हो रही इन पर रिसर्च
पोलाही जनजाति में इस तरह के रिश्तों को लेकर लंबे समय से रिसर्च होती आ रही है। इन स्टडीज के रिजल्ट से पता चलता है कि पोलाही जनजाति के लिए अनाचार विवाह रीति-रिवाजों के कारण नहीं है, बल्कि इनमें समझ और ज्ञान की बहुत कमी है। यहां तक ​​कि ये यह भी नहीं जानते कि दूसरी मानव समूह से कैसे जुड़ना है? इसलिए ये आपस में अंतर्जनन यानी आपस में फिलजिकल रिलेशन (inbreeding) करते हैं।

इसलिए रिश्तेदारी या परिवार में फिजिकल रिलेशन वर्जित हैं
वैसे बता दें कि इस तरह का कौटुम्बिक अनाचार (Incest) एक वर्जित व्यवहार(taboo behavior) है। अधिकांश देशों में ऐसे कानून हैं, जो अनाचार या करीबी रिश्तेदारों के साथ विवाह को बैन करते हैं। इसे समाज के लिए आदर्श नहीं माना जाता है। इसके अलावा इस फिजिकल रिलेशन को जन्मजात बीमारियों का जनक भी माना जाता है। एक स्टडी से पता चलता है कि करीबी रिश्तेदारों से सेक्सुअल रिलेशन बनाने वालों से जन्मे बच्चे में जन्म दोष विकसित(birth defects) होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी करीबी रिश्तेदारों या अनाचार से पैदा हुए बच्चे बड़े होकर अक्सर मनोवैज्ञानिक स्थितियों(psychological conditions) से पीड़ित होते हैं। जैसे कि सामाजिकता में कठिनाई( difficulty socializing), आत्मसम्मान मे कमी(low self-esteem), मानसिक विकार(psychotic disorders), अवसाद( depression), किसी हादसे को लेकर तनाव विकार( post-traumatic stress disorder) और सीमा रेखा व्यक्तित्व(borderline personality) यानी मानसिक बीमारी जो किसी व्यक्ति की भावनाओं को नियंत्रित करने की क्षमता को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।

एक स्टडी में यह भी पाया गया कि जिन 40 प्रतिशत बच्चों के माता-पिता आपस में रिश्तेदार( first-degree relatives) जैसे-माता-पिता, बच्चे या भाई-बहन थे, उनमें एक ऑटोसोमल रिसेसिव डिसऑर्डर हो सकता है। यानी पैरेंट से विरासत में दो बदले हुए जीन (two changed genes)  यानी म्यूटेशन (mutations) के रूप में मिलते हैं। इससे फिजिकिल या मेंटर जैसी कोई गंभीर समस्या हो सकी है। 

लेकिन हैरान करती है ये बात...
इस तरह के रिश्ते से जन्मे बच्चों में क्या डिसऑर्डर हो सकते हैं, इसका पता करने एक स्टडी की गई। चेकोस्लोवाकिया में अनाचार(incest in Czechoslovakia) से जन्मे बच्चों पर किए गए एक अध्ययन के अनुसार, उनमें से 42 प्रतिशत किसी न किसी गंभीर जन्म दोष से पीड़ित थे या अधिक समय तक जीवित नहीं रह सके। 11 प्रतिशत में मानसिक विकार या बौद्धिक(intellectual deficit) कमी थी।

इतनी सारी स्टडी और रिसर्च के बावजूद पोलाही जनजाति की यह कथित परंपरा हैरान करती है। पोलाही जनजाति में अनाचार विवाह से जन्मे बच्चे अन्य मानव समूहों की तुलना में अधिक फिट मिले। यानी रिसर्चर्स अभी भी यह पता करने में नाकाम रहे हैं कि ऐसा क्यों होता है? मानवविज्ञानी स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ गोरोन्टालो (anthropologist State University of Gorontalo-UNG ) से जुड़े एक्सपर्ट योवन तामू(Yovan Tamu) ने कहा कि अद्वितीय बात यह है कि इनके वंशज में कोई डिफेक्ट्स नहीं मिला। वे नॉर्मल हैं, जबकि अन्य देशों में ऐसा होना आम बात नहीं है। यदि इन ब्रीडिंग मैरिज यकीनन त्रुटिपूर्ण है, तो पोलाही में दोष क्यों नहीं है? हालांकि तामू ने कहा कि मानवशास्त्रीय दृष्टिकोण(anthropological point of view) से यह संभव है कि पोलाही जनजाति के जीवन में विशेष संस्कार(special rites) हों, जिससे उनके बच्चे सामान्य हैं। हो सकता है कि ये जनजाति जंगल में किसी खास पौधों का उपभोग कर रही हो, जिसके बारे में बाहरी समुदाय को पता नहीं है? वे कुछ ऐसे पौधे खाते हैं, जो उनकी हेल्थ को ठीक रखते हों, वे माउंटे में गहरे और घने जंगल में रहते हैं, उन्हें पता है कि पहाड़ों पर कौन से पौधे से क्या लाभ है। 

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